पूर्व मुख्यमंत्रियों ने नहीं दिया आवास किराया, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भेजा नोटिस

उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया आवास किराए के मामले में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.

उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया आवास किराए के मामले में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.

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Kuldeep Singh
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Uttarakhand High court

उत्तराखंड हाईकोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया आवास किराए के मामले में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी मकानों के किराए के साथ-साथ अन्य भत्ते देने के लिए भी निर्देश दिए हैं. कोर्ट 11 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय करते हुए सरकार व पूर्व मुख्यमंत्रियों से जवाब मांगा है.

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न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकल पीठ देहरादून की रूलक संस्था की याचिका पर सुनवाई की है. याचिका में सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देते हुए पारित किए गए अधिनियम को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, बी.सी. खंडूरी से 11 फरवरी तक जवाब देने को कहा है. निशंक अब केंद्रीय मंत्री हैं. पूर्व में, रुलक संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूली के लिए आदेश पारित करने की मांग की थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर सुविधाओं का बकाया जमा करने के आदेश पारित किए.

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ज्ञात हो कि हाईकोर्ट के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने इस मामले में मंगलवार को याचिका दाखिल की थी. राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देते हुए अधिनियम पारित किया है. अध्यादेश को विधानसभा में पारित कराकर अधिनियम पारित किया. अधिनियम में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से सुविधाओं के एवज में मानक किराए से 25 फीसद अधिक किराया वसूला जाएगा. यह कहा कि मानक किराया सरकार तय करेगी. साथ ही कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे, लेकिन किराया सरकार तय करेगी. पूर्व में कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. साथ ही कहा था कि इस अवधि में यदि सरकार ने अधिनियम बनाया तो याचिकाकर्ता उसे कोर्ट में चुनौती दे सकता है.

Source : News Nation Bureau

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