Uttarakhand: केदारनाथ में दुखद हादसा, पैदल मार्ग पर दो यात्रियों की मौत

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टरों के अनुसार प्रारंभिक रूप से दोनों की मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है.

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टरों के अनुसार प्रारंभिक रूप से दोनों की मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है.

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Yashodhan.Sharma
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Kedarnath yatra incident

Kedarnath yatra travellers Photograph: (social)

Dehradun: केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकले दो श्रद्धालुओं की गुरुवार को अलग-अलग स्थानों पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. दोनों ही श्रद्धालु गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर यात्रा कर रहे थे, जब अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. रेस्क्यू टीम ने तत्काल मदद पहुंचाई, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.

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पहली घटना जंगलचट्टी के पास हुई, जहां चंडीगढ़ से बाबा केदार के दर्शन के लिए आए 23 वर्षीय गोविंद, पुत्र महेश, एक दुकान के पास अचानक बीमार पड़ गया. वहां मौजूद लोगों ने तुरंत इसकी सूचना डीडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) को दी. जवान मौके पर पहुंचे और गोविंद को प्राथमिक उपचार के लिए पास की मेडिकल रिलीफ पोस्ट ले जाया गया. डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे गौरीकुंड रेफर किया. रेस्क्यू टीम ने स्ट्रेचर की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

ये है दूसरा मामला

दूसरी घटना में, गुजरात के गांधीनगर निवासी 50 वर्षीय नयना बैन, पत्नी दीपक कुमार पटेल, यात्रा के दौरान अचानक बेहोश हो गईं. डीडीआरएफ की टीम ने तुरंत उन्हें भी गौरीकुंड अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने वहां भी उन्हें मृत घोषित कर दिया.

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टरों के अनुसार प्रारंभिक रूप से दोनों की मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है. हालांकि, मौत के सही कारण की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी.

प्रशासन की ये अपील

प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे यात्रा पर निकलने से पहले अपने स्वास्थ्य की अच्छी तरह जांच करा लें, विशेष रूप से जिनकी उम्र अधिक है या जिन्हें हृदय संबंधित समस्याएं हैं. केदारनाथ यात्रा का मार्ग कठिन है और उच्च हिमालयी क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक थकान स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है.

स्थानीय प्रशासन और रेस्क्यू टीमें लगातार यात्रियों की मदद और मार्गदर्शन के लिए तैनात हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को भी सावधानी बरतनी जरूरी है ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके.

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