मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले- उत्तराखंड में छिपने वाले जमातियों पर की सख्त कार्रवाई, कोरोना फैलने से रोका
खास बात है कि इसमें आधे से ज्यादा लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं वहीं एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है.
देहरादून:
देश में कोरोना को काबू करने में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड एक मॉडल के तौर पर उभरा है. जब दूसरे राज्यों में सैकड़ों पॉजिटिव लोग मिले हैं, तब उत्तराखंड में अब तक सिर्फ 48 केस सामने आए हैं. खास बात है कि इसमें आधे से ज्यादा लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं वहीं एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह का वह कौन सा उत्तराखंड मॉडल है, जिसने कोरोना को काबू में कर दिखाया है? कैसे तबलीगी जमात से जुड़े कोरोना के उन संदिग्ध लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई, जो या तो छिप रहे थे या फिर दूसरों को छिपा रहे थे, इन सब बिंदुओं पर आईएएनएस ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की.
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त्तराखंड कोरोना मुक्त राज्य बनने की ओर
आईएएनएस को रविवार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कोरोना को काबू करने में सिर्फ तबलीगी जमातियों की वजह से थोड़ी चुनौती सामने आई. लेकिन जब कार्रवाई होने लगी तो वे इलाज कराने के लिए खुद बाहर आने लगे. जिससे कोविड 19 का अभियान सफलता की ओर बढ़ा. त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड कोरोना मुक्त राज्य बनने की ओर बढ़ चला है. पेश है इंटरव्यू के प्रमुख अंश :
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संक्रमित व्यक्ति सामने आए और उनका इलाज होने लगा
सवाल- देवभूमि उत्तराखंड में कोरोना वायरस को रोकने की सबसे बड़ी चुनौती क्या सामने आई? लॉकडाउन के पालन के लिए क्या इंतजाम हुए, राज्य में क्वारंटाइन की क्या व्यवस्था है?जवाब- थोड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण के शिकार हुए तबलीगी जमातियों को लेकर जरूर सामने आई. लेकिन हमने उनके समाज के प्रबुद्धजनों का सहयोग लिया और समझाया कि कोरोना से संक्रमित हो जाना दोष नहीं है, परंतु इसे छुपाना अपराध है. फिर भी जो संक्रमित व्यक्ति छिप रहे थे और जो उनको छुपा रहे थे, उन पर सख्त कार्रवाई की गई. इसका परिणाम ये हुआ कि संक्रमित व्यक्ति सामने आए और उनका इलाज होने लगा. मुझे खुशी है कि इनमें से कई लोग ठीक भी हो गए हैं. प्रदेश में लोगों को दो तरह से क्वारंटाइन रखा जा रहा है. होम क्वारंटाइन और इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन. लगभग 2500 से अधिक लोग इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में हैं. इनमें 18 हजार से अधिक बेड उपलब्ध हैं.
18 मार्च से वर्क फ्राम होम लागू किया
जहां तक लॉकडाउन के पालन की बात है तो प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन से ही राज्य में इसकी शुरुआत हो गई थी. हमने 15 मार्च को ही शिक्षण संस्थान बंद करने का आदेश कर दिया था. 18 मार्च से वर्क फ्राम होम लागू किया. हमने प्रदेश में लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया. प्रदेश की जागरूक जनता ने भी इसमें सहयोग किया. हमने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि लोगों की आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की जरूरतें पूरी हों. समाज के प्रबुद्धजनों से मिले सुझावों पर भी ध्यान दिया गया. हमने आवश्यक वस्तुओं की दुकानों के खुलने का समय इस तरह से निर्धारित किया कि लोगों में हड़बड़ी न हो और एक साथ भीड़ न हो.
भारत में कोरोना के फैलने की गति कम हुई है
सवाल- आप कोरोना के खिलाफ लड़ाई में खुद मोर्चा संभाले हैं. उत्तराखंड ऐसा राज्य हैं, जहां दूसरे राज्यों से काफी कम मामले आए हैं. आखिर कोरोना को काबू में करने का यह 'उत्तराखंड मॉडल' क्या है?
जवाब- देखिए, कोरोना के खिलाफ लड़ाई पूरी मानवता की लड़ाई है. हम सभी एकजुट होकर ही इसमें जीत हासिल कर सकते हैं. देश में ये लड़ाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लड़ी जा रही है. उनके द्वारा सही समय पर लिये गये सही निर्णयों से भारत में कोरोना के फैलने की गति कम हुई है. जहां तक उत्तराखंड का प्रश्न है, मैं सभी कोरोना वारियर्स सहित प्रदेश की जनता का धन्यवाद देना चाहता हूं जिनके सहयोग से हम कोरोना को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं. उत्तराखंड में कोरोना के मामले 26.6 दिनों में दोगुना हो रहे हैं. इस लिहाज से कोरोना संक्रमण को रोकने में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है.
चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को बधाई देना चाहूंगा
राज्य में मेरे स्तर से लगातार मॉनीटरिंग चल रही है. हम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रोज समीक्षा करते हैं और आवश्यक निर्णय ले रहे हैं. जहां कमी दिखाई देती है, वहां सुधार भी करते हैं. हमारी रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जनता का सहयोग है. मैं अपने चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को बधाई देना चाहूंगा कि कोरोना संक्रमण के 48 मामलों में से आधे से अधिक लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं. यहां तक कि एक 9 माह का बच्चा भी केवल 6 दिन में ठीक हो गया. हमारे यहां अभी तक कोरोना से एक भी मृत्यु नहीं हुई है.
सवाल- उत्तराखंड में राज्य सरकार कितने लोगों की अब तक टेस्टिंग कर चुकी है. हर दिन कितने लोगों के नमूने जांच के लिए लिए जा रहे हैं. राज्य के कब तक कोरोना मुक्त हो जाने की उम्मीद है?
जवाब- 24 अप्रैल तक राज्य में कुल 4767 नमूने कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए भेजे गए हैं. हमारे यहां अभी तक दो टेस्टिंग लैब थीं, अब तीसरी लैब भी काम करने लगी है. अभी तक 48 कोरोना पॉजिटिव पाए गए इनमें से 25 लोग ठीक भी हो चुके हैं. हमारे सात जिले ग्रीन जोन में हैं. हम प्रदेश को कोरोना मुक्ति की ओर ले जा रहे हैं. कोरोना के कहर के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. जिसके चलते लोगों का बाहर निकलना मुश्किल है. लॉकडाउन में सभी स्कूल-कॉलेज भी बंद है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों के लिए राहत दी है. यूनिवर्सिटी ने आवेदन करने की तिथि को आगे बढ़ा दी है. अब विदेशी छात्र इस तारीख तक आवेदन कर सकते हैं.
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