New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2022/06/20/bist-23-81.jpg)
file photo( Photo Credit : News Nation)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
file photo( Photo Credit : News Nation)
आम आदमी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आज पार्टी द्वारा तीसरा संगठन विस्तार किया गया. जिसमें प्रदेश संगठन समन्वयक समेत अलग-अलग विंग के 3 अध्यक्ष, एक प्रदेश उपाध्यक्ष, छह प्रदेश संगठन सचिव, और 10 प्रदेश सचिव बनाए गए. जिनमें डीके पाल को प्रदेश संगठन सह समन्वयक, राजेश बिष्ट प्रदेश उपाध्यक्ष, नीतीश जोशी प्रदेश अध्यक्ष युवा विंग, पंकज अरोड़ा प्रदेश अध्यक्ष परिवहन विंग, शादाब आलम प्रदेश अध्यक्ष औद्योगिक विंग, गणेश भट्ट जिलाध्यक्ष देवप्रयाग, नरेश प्रिंस प्रदेश संगठन सचिव, गजेंद्र चौहान प्रदेश संगठन सचिव, श्याम त्यागी प्रदेश संगठन सचिव, सुरेश चंद्र बिष्ट प्रदेश संगठन सचिव, मदन महर प्रदेश संगठन सचिव, चंद्रशेखर पांडे प्रदेश संगठन सचिव, दयाल सिंह बिष्ट प्रदेश सचिव, मंजू शर्मा प्रदेश सचिव, अविरल बिष्ट प्रदेश सचिव, कुलवंत सिंह प्रदेश सचिव, विजय शाह प्रदेश सचिव, मनोहर लाल प्रदेश सचिव, नारायण सौराड़ी प्रदेश सचिव, प्रकाश चंद उपाध्याय प्रदेश सचिव, तारा दत्त पांडे प्रदेश सचिव, नसीर खान प्रदेश सचिव बनाया गया.
यह भी पढ़ें : अब सरकार की ये योजना करेगी आपको मालामाल, एकमुश्त मिलेंगे 4 लाख रुपए
इस दौरान जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि भारत सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में पूरे देश में नौजवान जिस तरह से सड़कों पर उतर कर के आंदोलन कर रहे हैं वह चिंता का विषय है. भारत सरकार इस आंदोलन को बातचीत के माध्यम से सुलझाने या फिर नौजवानों कि मांग के अनुरूप योजना के स्वरूप में परिवर्तन करने के बजाय अब डराने धमकाने पर उतर आई है. कल सेना के तीनों अंगों के अध्यक्षों की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह कहना कि अग्निपथ से भर्ती में बलवा करने वालों को मौका नहीं मिलेगा लोकशाही कि परंपरा के अनुरूप नहीं है.
उत्तराखंड सरकार भी अग्निपथ के खिलाफ सड़कों पर आंदोलनरत नौजवानों को पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मीटिंग करवाना, अग्निपथ आंदोलन में हिस्सेदारी करने वाले लोगों के साथ पुलिस का बर्बर व्यवहार, हल्द्वानी में लाठीचार्ज के अलावा अब गिरफ्तार करने या मुकदमा करने जैसे आदेशों से डराना लोकतंत्र पर गहरी चोट करने जैसा है. सरकार अग्नि पथ के माध्यम से देश के युवाओं कको द्धाकते अंगारों पर धकेल रही है. भारत सरकार इस योजना की खामियों को दूर करने के बजाए या फिर कृषि कानूनों की तरह इसको वापस लेने के बजाय अब तानाशाही पर उतर आई है.