उत्तराखंड में शहरी क्षेत्रों को स्मार्ट बनाने के प्रयास अब सार्थक नजर आने लगे हैं. राज्य सरकार ने शहरों में मूलभूत सुविधाओं को और आधुनिक बनाने के लिए एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास भेजा था, जिस पर केन्द्र सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी है. इससे 17 शहरों की सूरत को बदला जाएगा. शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि प्रदेश की ओर से "बाह्य सहायतित योजना" के तहत केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी) ने 4200 करोड़ रुपये की राशि ऋण के रूप में देने को सैद्धांतिक रजामंदी दे दी है. इसमें अकेले तीर्थनगरी ऋषिकेश के लिए 2100 करोड़ की राशि मिलेगी, जबकि इतनी ही राशि से 16 अन्य शहरों की सूरत बदली जाएगी.
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मदन कौशिक ने कहा कि ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के बगल में पुल इस योजना के अंतर्गत नहीं बनेगी. इसके लिए अलग से योजना बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि अभी तक शहरों के विकास में धनाभाव के कारण अड़चनें आ रही थीं. लेकिन इस बजट के बाद हमें कोई ऐसी बात दिख नहीं रही है. मंत्री ने कहा, 'एक तो राज्य की माली हालत ऐसी नहीं कि वह दिल खोलकर शहरी क्षेत्रों के निकायों को धनराशि दे सके, वहीं निकायों की हालत भी बेहतर नहीं है. इस चुनौती से निपटने के लिए मौजूदा राज्य सरकार को "बा' सहायतित योजनाओं" की शरण में होना पड़ा. इसे देखते हुए ऋषिकेश शहर के साथ ही 16 अन्य शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत विभिन्न सुविधाओं के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया. जिसमें हमें सफलता मिल गई. यह सभी कार्य 2020 से शुरू होंगे और 2029 तक चलेंगे.'
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कैबिनेट मंत्री कौशिक के मुताबिक शहरी क्षेत्रों को संवारने के साथ ही वहां के निकायों को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार गंभीरता से पहल कर रही है. उन्होंने बताया कि इस योजना में ऋषिकेश, पिथौरागढ़, चंपावत, टनकपुर, खटीमा, सितारगंज, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, किच्छा, अल्मोड़ा, बागेश्वर, गोपेश्वर, जोशीमठ, श्रीनगर, डोईवाला व विकासनगर शहर अभी शामिल किए गए हैं. इन शहरों में पेयजल, जल निकासी, दूषित जल शुद्घीकरण, रिवर फ्रंट डेवलमपेंट, पुराने रास्तों का जीर्णोद्धार, ध्यान योग पार्क, भारतीय संस्कृति म्यूजियम, स्मार्ट पोल, एलइडी लाइट पोल, वाई-फाई सुविधा, सीसीटीवी, डिजिटल साइनेज, सड़क, तिराहों व चौराहों का चौड़ीकरण, फ्लाईओवर, अंडरपास, मल्टीलेवल पार्किं ग, स्काईवाक, फर्स्ट एड सेंटर आदि चीजें से इसे सुसज्जित किया जाएगा. शहरी विकास मंत्री ने बताया कि एआईआइबी से मिलने वाली राशि 90:10 अनुपात में मिलेगी. यानी 90 फीसदी केंद्र वहन करेगा, जबकि राज्य को 10 प्रतिशत ही चुकाना है.
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