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PFI बैन पर जफरयाब जिलानी का जवाब, SIMI नहीं- अवार्ड, स्कॉलरशिप और कंबल बाटने का है काम

जफरयाब जिलानी ने कहा, PFI ने केरल कर्नाटक में अच्छा काम किया, यूपी में भी यही काम कर रही है.

Updated on: 02 Jan 2020, 06:46 PM

Lucknow:

PFI को बैन की बात को लेकर जफरयाब जिलानी ने अपने ताजा बयान में सफाई देते हुए कहा कि, पीएफआई बैन की यूपी पुलिस की सिफारिश से मैं सहमत नहीं हूं. उन्होंने कहा मैं 20 साल से PFI को जनता हूं. PFI का मुख्यालय केरल में है, इन्होंने एक बड़ी रैली आयोजित की थी, जिसमे मैं गया था. PFI एक सोशल, ऐजुकेशनल, चैरिटवल आर्गेनाईजेशन है. जफरयाब जिलानी ने कहा, PFI ने केरल कर्नाटक में अच्छा काम किया, यूपी में भी यही काम कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आर्गेनाईजेशन पर एक आध मुकदमें हैं लेकिन उनके आधार पर उसे अन-लाफुल मान लेना ठीक नहीं. उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री मोहसिन रजा द्वारा इसको सिमी का ही दूसरा रूप बताने के साथ इसके आइएसआइ से भी संबंध होने की आशंका जताई की बात पर कहा कि वे इसे साबित करें, दस्तावेज दिखाएं, खाली ऐसे बयान ने दें.

जिलानी ने मोहसिन के बयान पर जोर देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो लिख कर दें, फिर दूसरा पक्ष उन्हें नोटिस देगा. पीएफआई पर बात करते हुए जिलानी ने आगे कहा कि लखनऊ में 19 तारीख को जो हुआ, लखनऊ की तंजीम की कॉल पर नहीं निकले लोग, सपा से बात की मैंने, कुछ एनजीओ ने कॉल दी थी जो लखनऊ से बाहर के थे.

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उन्होंने जोर देते हुए कहा कि PFI के कॉल पर लाखों लोग निकल ? आये ये बेकार की बात है, PFI को तो लोग जानते भी नहीं होंगे. जिलानी ने कहा कि PFI ने अवार्ड, स्कॉलरशिप और लोगों में कंबल बाटने का काम किया है. वहीं पीएफआई से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी पर बात करते हुए जिलानी ने कहा कि जो गिरफ्तारी हुई है वो किसी आधार पर हुई होगी, वो अलग मसला है.

क्या है पीएफआई? क्या कहते हैं इसके दावे

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया या पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है जो अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला सगठन बताता है. बताया ये भी जाता है कि संगठन की स्थापना 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF)के उत्तराधिकारी के रूप में हुई. संगठन की जड़े केरल के कालीकट से हुई और इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में स्थित है.

एक मुस्लिम संगठन होने के कारण इस संगठन की ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिमों के इर्द गिर्द ही घूमती हैं और पूर्व में तमाम मौके ऐसे भी आए हैं जब ये मुस्लिम आरक्षण के लिए सड़कों पर आए हैं. संगठन 2006 में उस वक़्त सुर्ख़ियों में आया था जब दिल्ली के राम लीला मैदान में इनकी तरफ से नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था. तब लोगों की एक बड़ी संख्या ने इस कांफ्रेंस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी.

जानकारी के अनुसार वर्तमान की देश में 23 राज्य ऐसे हैं जहां पीएफआई के सेंटर हैं, संगठन के अनुसार वह न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार है और मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए समय समय पर मोर्चा खोलता है.