उत्तर प्रदेश में अपराध पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकारी की यूपीकोका बिल मुश्किलों में घिरती नजर आ रही है। योगी सरकार ने जैसे ही इस बिल को विधान परिषद में पेश किया विपक्षी पार्टियों ने हंगामा शुरू कर दिया।
हंगामा बढ़ता देख विधान परिषद अध्यक्ष ने बिल को लेकर जांच के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला किया।
उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज़्ड क्राइम बिल 2017 महाराष्ट्र नियंत्रण संगठित अपराध अधिनियम (मकोका की तर्ज पर) पर तैयार किया गया है जिसपर वोटिंग होनी थी।
विधान परिषद के सदस्यों के विरोध को देखते हुए चैयरैमन रमेश यादव ने चयन समिति को बिल की जांच की जिम्मेदारी सौंपी है।
गौरतलब है कि विधानसभा में जहां 325 सीटों के साथ बीजेपी बहुमत है वहां ऊपरी सदन विधान परिषद में सत्तारूढ़ पार्टी के पास बहुमत नहीं है। 100 सीटों वाले विधान परिषद में बीजेपी के सिर्फ 13 सदस्य हैं।
समाजवादी पार्टी के पास विधान परिषद में 61, बीएसपी के पास 9, कांग्रेस के पास 2 और अन्य के पास 12 सीटें हैं। जबकि 2 सीटें फिलहाल खाली है।
विधान परिषद में विपक्ष के पास बहुमत होने की वजह से बिल को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। इससे पहले विधानसभा में ध्वनि मत से यूपीकोका बिल को पास कर दिया था। इस बिल को लेकर विपक्ष का मानना है कि सत्ताधारी पार्टी इस कानून का गलत इस्तेमाल कर राजनीतिक फायदा उठा सकती है।
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बिल को लेकर विपक्षी दलों ने कहा है कि संगठति अपराधों को नियंत्रित करने के लिए जो कानून और प्रणाली के मौजूदा ढांचे में रखा गया है वो सही नहीं है।
यूपीकोका बिल के तहत अपराध पर लगाम लगाने के लिए विशेष कानून बनाया जाएगा जिसके तहत किसी भी अपराध में संपत्तियों की कुर्की, रिमांड प्रक्रिया, अलग अदालत की स्थापना, त्वरित परीक्षणों और जांच आधुनिक प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा। इस नियम के तहत आरोपियों के लिए कड़े कानून प्रावधान होंगे।
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HIGHLIGHTS
- यूपीकोका बिल को लेकर मुश्किल में योगी सरकार, विधान परिषद में हुआ विरोध
- विरोधियों ने कहा सरकार इसका राजनीतिक फायदे के लिए करेगी इस्तेमाल
Source : News Nation Bureau