logo-image

फसाद की फांस : योगी सरकार खुराफाती 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' पर प्रतिबंध की तैयारी में!

कोई बड़ी बात नहीं है कि दंगों से बेहाल योगी सरकार (Yogi Govt) आईंदा के लिए ऐसी विद्रोही ताकतों को कुचलने की खातिर 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)' जैसे कुछ खुराफाती संगठनों पर ही प्रतिबंध लगा दे!

Updated on: 25 Dec 2019, 10:35 AM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीते दिनों आगजनी-हिंसा-हत्या के मामलों को लेकर सूबे की सरकार गंभीर है. सूबे में नागरिक संशोधन कानून (CAA) की आड़ में बीते दिनों विध्वंसकारी ताकतों द्वारा छेड़ी गई खूनी जंग का बदला लेने के लिए, राज्य सरकार हर संभव उपाय तलाशने में जुटी है. कोई बड़ी बात नहीं है कि दंगों से बेहाल योगी सरकार (Yogi Govt) आईंदा के लिए ऐसी विद्रोही ताकतों को कुचलने की खातिर 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)' जैसे कुछ खुराफाती संगठनों पर ही प्रतिबंध लगा दे! राज्य के कुछ आला-अफसरान मानते हैं कि हाल में सामने आए इस संगठन पर योगी सरकार की पैनी नजर तो है. प्रतिबंध के बाबत वे मगर मौजूदा माहौल में कुछ भी खुलकर बोलने को राजी नहीं हैं.

यह भी पढ़ें : B'day Special : इन बड़े फैसलों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी

नागरिक संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act 2019) को लेकर देश भर में मचे बवाल के चलते सबसे ज्यादा सरकारी संपत्ति को नुकसान उत्तर प्रदेश को हुआ है. इसी सूबे में सबसे ज्यादा लोगों की जान भी गई है. इस सिलसिले में यूपी पुलिस ने मेरठ में दो उपद्रवियों को गिरफ्तार किया. यूपी पुलिस के महानिरीक्षक (IG) स्तर के एक आला अफसर ने दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चली सनसनीखेज जानकारियों के बारे में बताया, "दोनों गिरफ्तार उपद्रवी पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय पदाधिकारी हैं."

इन दोनों गिरफ्तार सदस्यों से पूछताछ के दौरान यूपी (मेरठ) पुलिस को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की काली-करतूतों के बारे में तमाम सनसनीखेज जानकारियां हाथ लगी हैं. इस बारे में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने मंगलवार देर रात आईएएनएस से कहा, "प्रतिबंध के बारे में फिलहाल मैं कुछ नहीं बोल पाऊंगा."

यह भी पढ़ें : अगर सच बोलना गुनाह है तो मुझे गोली से उड़ा दिया जाए, NPR पर असदुद्दीन ओवैसी आपे से बाहर

उन्होंने आगे कहा, "प्रतिबंध जब लगेगा तब लगेगा। जब तक प्रतिबंध लग नहीं जाता है, तब तक कुछ कहना ठीक नहीं है. एहतियातन प्रतिबंध लगाना राज्य सरकार का पॉलिसी मैटर है. यूपी पुलिस द्वारा मेरठ में इस संगठन के सदस्यों की गिरफ्तारी से काफी कुछ स्थिति साफ हो चुकी है. फिलहाल यूपी पुलिस और राज्य सरकार का खुफिया तंत्र इस संगठन की तमाम संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखे है, ताकि आने वाले वक्त में बीमारी का इलाज जड़ से किया जा सके."

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह लखनऊ में नागरिक संशोधन कानून को लेकर सबसे ज्यादा बवाल मचा था. नदवा में आगजनी-दंगा-फसाद ने तो लखनऊ पुलिस और राज्य सरकार के तमाम इंतजामों को ही 'बौना' साबित कर दिया था. मेरठ में तैनात यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने आईएनएस से कहा, "लखनऊ में इस संगठन ने जो कुछ किया सो किया. यूपी के बाकी इलाकों में खासकर मेरठ में यह संगठन जितना आतंक फैला सकता था, उतना फैलाया. जांच में काफी कुछ साफ हो चुका है. इसके बाद से अब राज्य सरकार नहीं यह संगठन और उसके कारिदें परेशान हैं."

यह भी पढ़ें : NRC का हौव्वा अभी भी बरकरार, जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए रिकॉर्ड आवेदन

नोएडा पुलिस भले ही इस संगठन की घुसपैठ राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर अपने इलाके में (नोएडा) न माने. हां, इतना जरूर है कि, नोएडा के पास दिल्ली (बाया कालिंदी कुंज पुल) के शाहीन बाग इलाके पर खुफिया एजेंसियों की पैनी नजरें लगी हुई हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि दिल्ली और यूपी पुलिस इस संगठन को मिल-बांटकर 'ठिकाने' लगाने की सोच रही हैं.

यूपी पुलिस को मेरठ में पकड़े गए दो उपद्रवियों से ही पता चला है कि, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का मुख्यालय दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली के ही शाहीन बाग/ओखला-जामिया नगर इलाके के आसपास मौजूद है. शाहीन बाग में 15 दिसंबर से ही धरना-प्रदर्शन लगातार चल रहा है. दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ भले ही दिल्ली में अभी तक कोई कार्यवाही न कर सकी हो. दिल्ली की सीमा पर मौजूद गाजियाबाद जिले की पुलिस ने अमानतुल्लाह खान के खिलाफ कोतवाली थाने में जरूर 21 दिसंबर को मामला दर्ज कर लिया.

यह भी पढ़ें : RBI ने डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए पेश किया नया प्रोडक्ट, ग्राहकों को होंगे ढेरों फायदे

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को लेकर भले ही राज्य के प्रमुख सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी अभी खुलकर कुछ न बोल रहे हों, मगर राज्य सरकार के एक वरिष्ठ आईपीएस ने मंगलवार को आईएनएस से कहा, "राज्य पुलिस और राज्य सरकार को नागरिक संशोधन कानून के मुद्दे पर अब तक जहां जहां भी दंगे फसाद आगजनी की खबरें मिली हैं, उन सबमें कहीं न कहीं इस संगठन की घुसपैठ की ही मैली गंध आ रही है. इसी आईपीएस अधिकारी ने आगे कहा, "यह बेहद संवेदनशील मामला है. जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. हां, सामने आए इस संगठन के खिलाफ आईंदा जो भी कानूनी कदम होगा, वो आने वाले वक्त में मिसाल बना दिया जाएगा. ताकि सूबे में दुबारा इस तरह की आगजनी, खून-खराबा करने या कराने की जुर्रत इस संगठन या फिर इसके किसी उप-संगठन की न हो सके."

राज्य पुलिस के एक उच्च पदस्थ सूत्र के मुताबिक, इस संगठन को प्रतिबंधित करने की फाइल करीब छह महीने पहले खुली थी. वो फाइल अब शासन (राज्य सरकार) कहां किसी अफसर की मेज पर पड़ी धूल चाट रही है? शायद ही किसी को पता हो. हां, इस बारे में आईएनएस से बातचीत में राज्य के प्रमुख सचिव (गृह) ने साफ-साफ कहा, "प्रतिबंध लगाने के किसी प्लान पर अभी चर्चा ठीक नहीं है. जब तक कुछ ठोस हो न जाए तब तक कुछ भी कह पाना मुश्किल है. हां यह तय है कि राज्य में शांति के लिए सरकार को भविष्य में इस संदिग्ध संगठन के खिलाफ जो भी कदम उठाने हैं, उनका खुलासा मौजूदा हालातों में तो कम से कम उजागर करना कतई ठीक नहीं होगा."

यह भी पढ़ें : हरभजन सिंह ने फिर उठाए चयनकर्ताओं पर सवाल, जानें क्‍या कहा

इस सिलसिले में आईएएनएस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया कार्यकर्ता-पदाधिकारी से पूछा तो उसने अपनी पहचान न उजागर की शर्त पर बताया, "सरकार जो चाहे कह सकती है. हम मगर इन तमाम आरोपों को सिरे से नकारते हैं." सरकार, इस विवादित संगठन पर प्रतिबंध लगाने की योजना को अंतिम रूप देने में जुटी है. पूछे जाने पर उसने आगे कहा, "पहले हमारे खिलाफ सबूत तो सरकार तलाश कर आगे लाकर रखे. अभी तो सब जुबानी-जमा में जुटे हैं."