योगी के मंत्री मोहसिन रजा का बड़ा बयान, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक माहौल खराब करने की साजिश
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने भी लखनऊ में आयोजित बैठक पर सवाल खड़े करते हुए देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश का बड़ा आरोप लगाया है.
highlights
- योगी के मंत्री मोहसिन रजा ने एआईएमपीबी की फंडिंग की जांच करने को कहा.
- रजा के मुताबिक अयोध्या फैसले पर एआईएमपीबी देश का माहौल बिगाड़ रही.
- एआईएमपीबी में ही पुनर्विचार याचिका को लेकर एकराय नहीं.
नई दिल्ली:
अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर रुख तय करने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लखनऊ में बैठक हो रही है. सुप्रीम फैसले पर कुछ मुस्लिम नेताओं और संस्थाओं के ताजा बयानों से जाहिर है कि अयोध्या मसले पर राजनीति अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है. एक बड़े तबके का मानना है कि अयोध्या विवाद का पटाक्षेप होना चंद लोगों को रास नहीं आ रहा है. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने भी लखनऊ में आयोजित बैठक पर सवाल खड़े करते हुए देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश का बड़ा आरोप लगाया है.
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एआईएमपीबी खराब कर रही देश का माहौल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोहसिन रजा ने कहा कि अगर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मीटिंग करनी ही थी तो हैदराबाद या दिल्ली में कर लेते. जब सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला मुस्लिम समाज मंजूर कर चुका है, तो उत्तर प्रदेश में इस मीटिंग को करने का क्या औचित्य है. उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड माहौल खराब करना चाहता है. इसके साथ ही एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधते हुए मोहसिन रजा ने कहा, 'ओवैसी जैसे लोग खुद को बैरिस्टर कहते हैं, विदेशों से पढ़ कर आए हैं. वह मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.' मोहसिन रजा ने कहा, इस बात की अब जांच होनी चाहिए आखिर इस संस्था की फंडिंग कौन कर रहा है.
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एक तबका चाहता है कि मामला यही खत्म किया जाए
गौरतलब है कि अयोध्या मसले पर सुप्रीम फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका मसले पर लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक हो रही है. इसमें अयोध्या मसले से जुड़े मुस्लिम पक्षकार शामिल नहीं हैं, लेकिन असुदद्दीव ओवैसी और अन्य मुस्लिम नेता बैठक में शामिल होने लखनऊ पहुंच चुके हैं. इस बैठक को लेकर हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ही एकमत नहीं है. सूत्रों की मानें तो जफरयाब जिलानी और उनके कुछ समर्थक सदस्य रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के पक्ष में हैं. एक बड़ा तबका ऐसा है, जिनके तर्क हैं कि एक बड़ी समस्या का अंत हो गया है. ऐसे में हमें अब इस मामले को यहीं खत्म कर देना चाहिए. रिव्यू पिटीशन डालने से सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला बदलने वाला नहीं है. ऐसे में रिव्यू पिटीशन डालकर दोबारा से इस मुद्दे पर राजनीतिक करने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए.
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