राजधानी लखनऊ (Lucknow) में लगे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने से जुड़े होर्डिंग के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में माहौल गरमाया हुआ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए होर्डिंग हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन बावजूद इसके उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उस मामले पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. अपने फैसले पर अड़िग राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती देने की तैयारी में है. सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
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उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि पोस्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने के बारे में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए पाठक ने कहा कि जो विपक्षी इस कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उनके कार्यकाल में अराजकता थी. उनके दबाव में पुलिस काम करती थी. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में जो भी अपराध करेगा, उसका खुलासा किया जाएगा और कार्रवाई भी होगी.
गौरतलब है कि सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को पोस्टर हटाने के आदेश दिया था. कहा था कि सड़क के किनारे होर्डिंग्स पर आरोपियों की तस्वीरें और व्यक्तिगत विवरण प्रदर्शित करने का सरकार का कदम उनकी गोपनीयता में एक अनुचित हस्तक्षेप है. इसके साथ ही इस मुद्दे पर कोर्ट ने 16 मार्च तक रजिस्ट्रार जनरल को एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था.
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बता दें कि 19 दिसंबर 2020 को लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में कथित रूप से शामिल रहे 57 लोगों के नाम और पते के साथ शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर कुल 100 होर्डिंग्स लगाए गए थे. ये सभी लोग लखनऊ के हसनगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के हैं. प्रशासन ने पहले ही 1.55 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए इन सभी लोगों को वसूली के लिए नोटिस जारी किया.
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