जेल में बंद कैदियों के लिए आई अच्छी खबर, रिहा किए जाएंगे ऐसे लोग
16 साल की सजा काट चुके ऐसे कैदियों की लिए अच्छी खबर है जिनकी उम्र 60 साल से कम है । शासन ने उनके आचरण के आधार उनकी रिहाई का मापदंड तय कर दिये है ।
नई दिल्ली:
16 साल की सजा काट चुके ऐसे कैदियों की लिए अच्छी खबर है जिनकी उम्र 60 साल से कम है । शासन ने उनके आचरण के आधार उनकी रिहाई का मापदंड तय कर दिये है । इतना ही नहीं नई नीति के तहत ऐसे बंदियों की रिहाई की शुरुआत 21 जून से होने जा रही है । देखिए ये खास रिपोर्ट । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 16 साल और उससे अधिक की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई की सरकारी नीति को अमली जामा पहनाने की पूरी तैयारी कर ली है । जिसके लिए 21 जून यानी विश्व योग दिवस के दिन को चुना गया है । 21 जून को प्रदेश को सबसे बड़ी जेल, नैनी सेंट्रल जेल में 63 बंदियों को रिहा करने की पूरी तैयारी कर ली है । रिहाई के लिए तय किये गए मापदंड के अनुसार जेल प्रशासन ने ऐसे 63 बंदियों की सूची शासन को भेजी है । नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक पी.एन. पाण्डेय ने बताया कि नैनी सेंट्रल में बाकायदा स्क्रूटनी कर ऐसे 63 बंदियों का चयन किया गया है ।
दरअसल बंदियों द्वारा कारित अपराध और जेल में काटी उनकी सजा के आधार पर उनकी रिहाई के लिए कई कैटेगरी बनाई गई है जिसमें । ऐसे बंदी जो कैजुअल ऑफेंडर हैं यानी जो आकस्मिक रूप से किसी अपराध में शामिल रहे हैं और जेल में 16 की सजा काट चुके हैं । दूसरी श्रेणी ऐसे बंदियों की है जो हेबिचुअल या प्रोबिटेड सेक्शन में दंडित है यानी जो अभ्यस्त अपराधी है, हत्या, अपरहण बालात्कार व महिला अपराधों में शामिल हो और जेल में 20 साल की सजा काट चुके हों । तीसरी श्रेणी में ऐसे बंदी है जो 2 से अधिक हत्याओं में सजा पाए हो और जेल 25 साल बिता चुके हों ।
इन सभी श्रेणियों के बंदियों के लिए आवश्यक शर्त है कि जेल में सजा के दौरान इनका आचरण अच्छा रहा हो व इनके छूटने के असर किसी भी तरह से लोक व्यवस्था पर न पड़े जिसके लिए पुलिस से रिपोर्ट भी मंगवाई ली जाएगी । साल 2018 में आजीवन कारावास को सजा पाए बंदियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार ने एक स्थायी नीति तैयार की थी जिसमें पहले 2021 में संशोधन किया गया फिर दोबारा मई 2022 में दोबारा संशोधन किया गया । बंदियों की रिहाई की इस नई नीति से बड़ी राहत उन सजायाफ्ता को मिलेगी जिनकी उम्र 60 साल से कम है क्योंकि इसके पहले न्यूनतम 60 वर्ष की उम्र के बंदियों की रिहाई पर हो विचार किया जाता था ।
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