उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांवों में उत्तराधिकार को लेकर उपजे भूमि विवादों को खत्म करने और तहसील और जिला स्तर पर भारी भरकम मामले बनाने वाले संपत्ति के मुकदमों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य में दो महीने तक चलने वाले विशेष 'विरासत' (स्वाभविक उत्तराधिकार) अभियान शुरू किया है. इस मुहिम से जमीन और संपत्ति को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद खत्म होंगे और विवादित संपत्तियों को निशाना बनाने वाले भूमाफिया द्वारा ग्रामीणों के शोषण पर रोक लगाई जाएगी.
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यह राज्य में अपनी तरह का पहला अभियान है. सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, नई पहल से राज्य के 1,08,000 राजस्व गांवों में वर्षों से लंबित मामलों का निपटारा होने की उम्मीद है. अभियान के तहत, विरासत से संबंधित सभी जानकारी राजस्व मंडल की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाएगी, जिसके आधार पर योजना की प्रगति की समीक्षा की जाएगी.
दो माह की इस योजना के अंत में जिला व तहसील स्तर पर जिलाधिकारी बेतरतीब ढंग से राजस्व ग्राम के दस प्रतिशत की पहचान करेंगे और लेखपाल की रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों की जांच उपमंडल मजिस्ट्रेट, अपर जिलाधिकारी व अन्य जिला स्तरीय अधिकारी करेंगे.
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीणों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से भू-अभिलेखों में अपना नाम दर्ज कराने की सुविधा दी जाएगी. जिन लोगों की अपने पैतृक गांवों में खुद की जमीन है, लेकिन कहीं और रह रहे हैं, उनके लिए आवेदन जमा करने के लिए तहसील में विशेष काउंटर खोला जाएगा. इस पहल से राज्य के 1.08 लाख राजस्व गांवों में लंबे समय से लंबित मामलों का निपटारा होने की उम्मीद है.
प्रवक्ता ने कहा, इससे लेखपालों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पर भी अंकुश लगेगा, जो यह देखा गया है, आमतौर पर इन मामलों में रुचि नहीं लेते हैं और भूमि विवादों को जमा करने के लिए वे जिम्मेदार हैं. इस योजना के तहत लेखपाल को उत्तराधिकारियों का सत्यापन करने और ऑनलाइन आवेदन भरने में सहायता करने के लिए गांवों का दौरा भी करना होगा.
सामुदायिक सुविधा केंद्रों से आवेदन भरने का विकल्प भी लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि आवेदन भरने में दिक्कत आने पर लोगों की सहायता के लिए हेल्पलाइन भी शुरू की जा रही है.'विरासत' से संबंधित सभी जानकारी राजस्व बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी, जहां योजना की प्रगति की समीक्षा की जा सकती है.
ग्रामीणों का यह भी मानना है कि इस अभियान से न केवल भूमि विवादों को खत्म करने में मदद मिलेगी, बल्कि इन मामलों में आम तौर पर रुचि नहीं लेने वाले लेखपाल (राजस्व अधिकारी) के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पर भी अंकुश लगेगा.
यह भी परिवारों और रिश्तेदारों के बीच विवादों का मुख्य कारण है और ग्रामीणों को मुकदमों का सामना करना पड़ता है. मुकदमें कई पीढ़ियों तक चलते रहते हैं. इस व्यवस्था से ग्रामीणों का किसी भी स्तर पर शोषण नहीं होगा और वे भू-अभिलेखों (खतौनी) में अपना नाम दर्ज करवा सकेंगे.
Source : IANS