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जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने पर अध्ययन कर रही योगी आदित्‍यनाथ की सरकार

जनसंख्या नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. सरकार द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में इस पर हुए काम का अध्ययन किया जा रहा है. वहां की स्थिति को समझते हुए प्रदेश में अगला कदम उठाया जाएगा.

Updated on: 17 Mar 2020, 10:30 AM

लखनऊ:

जनसंख्या नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. सरकार द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में इस पर हुए काम का अध्ययन किया जा रहा है. वहां की स्थिति को समझते हुए प्रदेश में अगला कदम उठाया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार के परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, "विधानसभा में हमारा रिकॉर्ड देखें. पुराना परिवार नियंत्रण का जो कानून था, उसका क्या हाल है. यह सवाल हमेशा पूछा जाता है. इसको बदलने की बात होती है. इस बात को विधानसभा सत्र के दौरान रखा गया था, इसे लेकर विधायकों की चिंता है."

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उन्होंने कहा, "मैंने भी सुना है कि कुछ राज्यों में दो से ज्यादा बच्चे वाले नेता चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इस पर हम लोग भी सोच रहे हैं. विभाग ने बताया है कि कई प्रदेश की सरकारों ने इस पर काम करना शुरू किया है. कागज मंगवाए हैं. उत्तराखंड ने भी किया था, हाइकोर्ट ने इसके स्टेप डाउन कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट में गए हैं. दक्षिण में भी यह चल रहा है. सभी जगह की सूचनाओं को एकत्रित करके इसे हम देखेंगे."

अस्पतालों में दवाओं की कमी पर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में 80 से 85 फीसद दवा जा रही है. खरीद भी हो रही है. राजधानी में कुछ कमी है, कुछ सुझाव भी आए थे. उनपर भी अमल किया गया है. अगर स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक है तो गांवों से आने वाली भीड़ शहर, राजधानी में कम क्यों नहीं हो रही? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि राजधानी के अस्पतालों में भीड़ कम नहीं हो सकती. यहां विशेषज्ञ बैठते हैं. आबादी नीति लागू होने के बाद ही भीड़ कम हो सकती है. जिला अस्पताल में विशेष बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं है.

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मंत्री ने कहा, "सीएचसी और पीएचसी में डॉक्टर की कमी को जल्द पूरा करेंगे. लोकसेवा आयोग में 1800 डॉक्टर को पीएचसी में 2 साल रहने के लिए कहा है. 2 साल के बाद ट्रांसफर का आश्वासन दिया है. 99 फीसद काम हो गया है. हमारे यहां एमबीबीएस आते हैं तो वो फिजिशियन के तौर पर जिला अस्पताल में काम करते हैं. विशेषज्ञ डॉक्टर मेडिकल कॉलेज और ट्रॉमा में आ रहे हैं." स्वास्थ्य मंत्री ने दो टूक में कहा कि अब प्रदेश में कोई नया सीएचसी और पीएचसी नहीं बनाया जाएगा. अब पुराने वाले को सुधार करना है. इतने ज्यादा सेंटर हैं कि इन्हें अपग्रेड किया जाएगा, तो स्वास्थ्य व्यवस्था काफी ठीक हो जाएगी.

जय प्रताप ने कहा, "हमारी सरकार की पूरी व्यवस्था पारदर्शी है. नए डॉक्टर खुद अपना जिला और गांव चुन रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में बांड भराने की बात हुई है. अभी जो डॉक्टर मिल रहे हैं, उनकी तैनाती पहले पीएचसी में की जा रही है." जिला अस्पतालों में जांच की सुविधा न होने के सवाल पर जय प्रताप ने कहा, "जिला अस्पतालों में कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. सीटी स्कैन मशीन पीपीपी मॉडल पर लगवा दी गई हैं. आने वाले समय में एमआरआई की भी सुविधा देने जा रहे हैं. जांच को एडवांस कर दिया गया है."

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ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव की समस्या पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 4500 नर्सो की कमी है. जल्द ही इनकी भर्ती की जाएगी. कई जगह शोषण की शिकायतें आती हैं, उन पर कार्रवाई भी होती है. कई सरकारें आईं-गईं, लेकिन व्यवस्था पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. अगर व्यवस्था ठीक होती तो ज्यादा काम न करना पड़ता. मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए यूपी सरकार की ओर से पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. राज्य में जल्द ही एक और बड़ा संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष बनाया जाएगा, जहां से हर जिले की मॉनिटरिंग के लिए सभी संसाधन मौजूद रहेंगे. इसके अलावा बचाव, उपचार व रोकथाम के लिए सीएचसी, पीएचसी व जिला अस्पतालों में बैनर पोस्टर लगाए हैं.

जय प्रताप ने कहा कि प्रदेश में वायरस से निपटने के लिए प्रदेश में 820 बेड तैयार कराए गए हैं. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और पीजीआई में विशेष इंतजाम किया गया है. 800 डॉक्टरों की विशेष टीम तैयार है. हर जिला चिकित्सालय में कोरोना की जांच और इलाज के लिए बेहतर प्रबंध किए गए हैं.