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धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बना सकती है योगी सरकार, जानें कारण

उत्तर प्रदेश राज्य विधिक आयोग ने गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ को एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में धर्मांतरण जैसे गंभीर मुद्दे पर नया कानून बनाने की शिफारिश की गई है.

Updated on: 22 Nov 2019, 01:00 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश राज्य विधिक आयोग ने गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ को एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में धर्मांतरण जैसे गंभीर मुद्दे पर नया कानून बनाने की शिफारिश की गई है. आयोग की सचिन सपना त्रिपाठी का कहना है कि धर्म की स्वतंत्रता (विधेयक के मसौदे सहित)—‘उत्तर प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019' (Uttar Pradesh Religious Freedom Bill 2019) नामक रिपोर्ट आयोग की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई है.

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आयोग के अद्यक्ष न्यायमूर्ति आदित्यनाथ मित्तल एवं सपना त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री योगी को रिपोर्ट सौंपी है. जानकारी के मुताबिक आजादी के पहले और बाद के देश और पड़ोसी देशों मसलन नेपाल, म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान के कानूनों का अध्ययन किया गया है. इन कानूनों के अध्ययन के बाद रिपोर्ट राज्य सरकार के विचार के लिए सौंपी गई है.

जबरन धर्मांतरण की रिपोर्ट

स्टेट लॉ कमिशन और न्यायमूर्ति स्टेट लाइट कमेटी के चेयरमैन आदित्यनाथ मित्तल ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यूपी में धर्म परिवर्त विरोधी कानून बनाने की सिफारिश की है. उन्होंने कहा कि तीन महीने में 300 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गई है. जिनमें अलग-अलग जिलों के कथित जबरन धर्मांतरण का जिक्र किया गया है.

संविधान के मुताबिक हुई सिफारिश

उन्होंनेकहा कि शादी का झांसा देकर SC-ST को प्रलोभन देकर जो धर्मांतरण किया जा रहा है उसके आधार पर रिपोर्ट सौंपी गई है. 10 राज्यों में पहले से धर्मांतरण का कानून लागू है. आदित्यनाथ मित्तल का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर महिलाओं के साथ बहुत सी घटनाएं देखने को मिली हैं. इसमें ऐसी शादियों को खत्म करने का प्रावधान भी रखा है.