प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो लोकसभा चुनाव से वाराणसी से ही चुनाव लड़ रहे हैं और उनके जीतने का अंतर बढ़ता जा रहा है और माना जा रहा है की 2024 में भी चुनाव वाराणसी से ही लड़ते हुए नजर आ सकते हैं, तो आखिर ऐसा क्या है की पीएम मोदी काशी से ही चुनावी मैदान में उतरते हैं. इससे पार्टी का क्या फायदा होता है. पीएम मोदी जब 2014 में पहली बार काशी में चुनाव लड़ें तो दो लाख अस्सी हजार वोट से जीते उसके बाद 2019 में चार लाख वोट से जीते और अब माना जा रहा है की 2024 में जितने का अंतर उससे भी बड़ा हो सकता है इससे बाकी जगहों पर भी इसका असर पड़ता है.
माना जाता है की प्रधानमंत्री के वाराणसी से चुनाव लडने से देश का सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश जहां 80 से ज्यादा लोकसभा सीट है, उससे सबसे ज्यादा फायदा पार्टी का होता हैं. इसके अलावा बिहार पर भी इसका असर होता है और ये भी सबसे बड़ा कारण होता है, पीएम के वाराणसी सीट को चुनने का.
वाराणसी में भाजपा के महानगर अध्यक्ष भी कहते हैं कि पीएम का चुनाव लड़ना काशी से हमें नई ऊर्जा देता है हम तो यही चाहते है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा वाराणसी से ही चुनाव लड़ें.
पीएम मोदी का नेताओं मे साथ नाम लिया जाएगा
देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू तीन बार चुनाव जीते। 1952, 1957 और 1962 में वे बिना किसी अड़चन के जीत गए। 1964 में पद पर रहते हुए उनका निधन हो गया। इसके बाद इंदिरा गांधी भी तीन चुनाव जीतीं और पीएम बनीं। इंदिरा गांधी 1967, 1971 का चुनाव जीतीं। 1975 में इमरजेंसी लगा दी गई। 1977 के चुनाव हुए, इसमें इंदिरा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। मगर 1982 के आम चुनावों में उन्हें फिर से जीत मिली। 1984 में पीएम पद पर रहते हुए उनकी हत्या हो गई। इस सूची में भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भी शामिल है। तीनों बार मिलकर सरकार बनाई। मात्र छह साल ही पद पर रहे। इस समय पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के कार्यकाल की बराबरी कर ली है। अगर पीएम मोदी तीसरी बार चुन के आते हैं तो वे नेहरू और इंदिरा की कतार में शामिल हो जाएंगे।
Source : Sushant Mukherjee