यूपी विधानसभा में कौन होगा नेता विरोधी दल? सपा किसे देगी यह जिम्मेदारी
सत्रहवीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे राम गोविन्द चौधरी बलिया की बांसडीह सीट से हार गये हैं. ऐसे में पार्टी को नये चेहरे की तलाश करनी होगी.
लखनऊ:
विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा. लेकिन पार्टी के पास इतनी संख्या नहीं है कि वह सरकार बना सके. सपा यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल विधानसभा से चुनाव जीते हैं. लेकिन अब वह विधानसभा की सदस्यता की बजाय लोकसभा सदस्य रहनाही पसंद करेंगे. ठीक यही हाल सपा के दूसरे वरिष्य़ नेता आजम खान का भी है. पिछली बार नेता विपक्ष रहे सपा नेता रामगोविंद चौधरी विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में अखिलेश यदाव के पास एक विकल्प है कि वह अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) को नेता विरोधी दल घोषित कर दें. लेकिन पेंच यहीं फंसा है. सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पद से दूर हुए अखिलेश यादव क्या अपने चाचा को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी सौंपेंगे. हालांकि ये बड़ा सवाल है कि आखिर सपा की ओर से किसे नेता प्रतिपक्ष बनाया जायेगा. सत्रहवीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे राम गोविन्द चौधरी बलिया की बांसडीह सीट से हार गये हैं. ऐसे में पार्टी को नये चेहरे की तलाश करनी होगी.
इसके अलावा पार्टी के कई दिग्गज लीडर इस बार चुनाव जीतकर आये हैं. ऐसे में ये संकट और भी बड़ा हो गया है. तो आइए जानते हैं कि सपा से कौन नेता प्रतिपक्ष बनने की काबिलियत रखता है. बता दें कि नेता विरोधी दल उसी को बनाया जायेगा जिससे एक खास राजनीतिक मैसेज जाये. इसे कई मानकों पर तौला जायेगा. मसलन दलित वोट बैंक का जुड़ाव, पिछड़े वोट बैंक का जुड़ाव, भाजपा की नीतियों का प्रखर आलोचक और पार्टी से वफादारी.
यह भी पढ़ें : गुजरात: PM मोदी ने किया खेल महाकुंभ का उद्घाटन, बोले- हिंदुस्तान न रुकेगा और न थकेगा
अम्बेडकरनगर से जीते राम अचल राजभर सीनियर लीडर हैं. वैसे तो हैं पुराने बसपाई, लेकिन समाजवादी पार्टी में आस्था दिखाई और जीत भी गये. पिछड़ों की गोलबन्दी के काम आ सकते हैं. कमी यही है कि वह सपा का पुराना काडर नहीं बल्कि बसपा से आयातित हैं.
इनकी कहानी भी राम अचल राजभर जैसी ही है. अंतर बस इतना है कि ये पार्टी से निकाले जाने से पहले विधानसभा में बसपा विधानमण्डल दल के नेता थे. यानी विधानसभा में पार्टी के अगुआ. कमी यही है कि ये भी पुराने बसपाई है, लेकिन पिछड़ों की गोलबन्दी के काम आ सकते हैं.
कौशाम्बी की मंझनपुर सीट से जीते इन्द्रजीत सरोज सूबे के बड़े दलित लीडर रहे हैं. वैसे तो ये भी पुराने बसपाई हैं, लेकिन चुनाव से बहुत पहले (चार साल पहले) ही सपा में आ गये थे. मायावती के बिखरते कुनबे को सपा की ओर मोड़ने में सहायक हो सकते हैं. प्रखर वक्ता भी हैं और फायर ब्राण्ड भी. राम गोविन्द चौधरी के तीखे तेवरों की कमी पूरी हो सकती है.
पुराने समाजवादी लीडर हैं. गाजीपुर की जमानियां सीट से विधायक बने हैं. वैसे तो हैं मुलायम सिंह के समय के, लेकिन अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. छात्र आंदोलन से ओम प्रकाश सिंह की राजनीति शुरू हुई थी और जयप्रकाश नारायण के संघर्ष में भी शामिल रहे. जमीनी नेता हैं. कमी ये है कि ठाकुर बिरादरी से हैं जिसका सूबे में कोई बड़ा वोट बैंक नहीं है. इसके अलावा अखिलेश यादव के साथ वैसी केमिस्ट्री नहीं है जैसी मुलायम सिंह के साथ रही है.
लखनऊ मध्य सीट से जीते रविदास मेहरोत्रा भी नेता विरोधी दल की रेस में आगे दिख रहे हैं. कड़े तेवर और संघर्षों वाले नेता रहे हैं. कोरोना काल में भाजपा सरकार को जमकर घेर चुके हैं. नेता विरोधी दल बने तो भाजपा सरकार की घेरेबन्दी तगड़े से कर सकेंगे.
वैसे माता प्रसाद पांडेय, जय प्रकाश अंचल और अवधेश प्रसाद जैसे लीडर भी जीतकर आये हैं. मुस्लिम बिरादरी से भी शाहिद मंजूर, फरीद महफूज़ किदवई और महबूब अली जैसे सीनियर लीडर भी जीतकर आये हैं, लेकिन इनकी संभावना ना के ही बराबर है. सॉफ्ट हिन्दुत्व वाली सपा ऐसा करने से बचेगी. बता दें कि विधानसभा में नेता विरोधी दल की बहुत हैसियत होती है. उसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहता है. कैबिनेट मंत्री की ही तरह उसे सारी सुविधायें भी मुहैया होती हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी का हुआ एक्सीडेंट, होगी सीरीयस सर्जरी, काम छोड़कर हॉस्पिटल पहुंचे पति
-
Maidan BO Collection: मैदान ने बॉक्स ऑफिस पर पूरा किया एक हफ्ता, बजट की आधी कमाई भी नहीं कमा पाई फिल्म
-
Happy Birthday Arshad Warsi: मुन्ना भाई के सर्किट का जन्मदिन आज, पैप्स के साथ काटा बर्थडे केक, वीडियो हुई वायरल
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024 Date: हनुमान जयंती पर बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, जानें किन राशियो की होगी आर्थिक उन्नति
-
भारत के इस मंदिर में नहीं मिलती पुरुषों को एंट्री, यहां होते हैं कई तांत्रिक अनुष्ठान
-
Mars Transit in Pisces: 23 अप्रैल 2024 को होगा मीन राशि में मंगल का गोचर, जानें देश और दुनिया पर इसका प्रभाव
-
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी से पहले जरूर करें 10 बार स्नान, सफलता मिलने में नहीं लगेगा समय