उत्तर प्रदेश की बहराइच लोकसभा सीट से सांसद सावित्री बाई फुले क्यों हैं आज चर्चा में
बहराईच जिले के नानपारा की रहने वाली सावित्री बाई फुले सांसद चुने जाने से पहले वह 2001 से 2012 जिला पंचायत सदस्य रहीं. इसके बाद वह 2012 से 2014 तक विधायक रहीं.
नई दिल्ली:
बहराईच जिले के नानपारा की रहने वाली सावित्री बाई फुले सांसद चुने जाने से पहले वह 2001 से 2012 जिला पंचायत सदस्य रहीं. इसके बाद वह 2012 से 2014 तक विधायक रहीं. मोदी लहर में बीजेपी से वह चुनाव जीत कर संसद तक पहुंचीं. BJP के टिकट पर पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ी सावित्री ने सपा के शब्बीर अहमद को 95645 वोटों से हराया. इधर वह लगातार योगी सरकार पर आक्रमक थीं.
वह Social Justice and Empowerment के स्टैंडिंग कमेटी की मेंबर हैं. Consultative Committee, Ministry of Human Resource Developmen और Committee on Empowerment of Women की भी सदस्य हैं. इसके अलावा Standing Committee on Railways की भी वो सदस्य रही हैं. 1 Sept. 2018 से Standing Committee on Chemicals and Fertilizers की भी वो मेंबर हैं. सावित्री बाई फुले ने 2012 में बीजेपी के टिकट पर बलहा (सुरक्षित) सीट से चुनाव जीता था और 2014 में उन्हें सांसद का टिकट मिला और वह संसद पहुंचीं.वह बीजेपी की दलित महिला चेहरा थीं.छह साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई थी लेकिन उनकी विदाई नहीं हुई.इसके बाद बड़े होने पर उन्होंने संन्यास ले लिया.
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बहराइच की सांसद और बीजेपी नेत्री सावित्रीबाई फुले ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा, आज में बहुत दुखी हूं, आज भारतीय जनता पार्टी के लोगो के मुँह से सुनने को मिलता है कि संविधान बदला जाएगा. न तो संविधान लागू किया जा रहा है न ही आरक्षणलागू किया जा रहा है, मेरी मांगो को सरकार द्वारा ठुकराया गया है, आज भाजपा सरकार बहुजनों के हित में कार्य नही कर रही है. बाबा साहब की प्रतिमा तोड़ी गयी है लेकिन उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की गई है.
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