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लखनऊ में रातों-रात सजा CAA विरोधी मंच, ब्रांडेड कंबल और पैक्ड फूड पहुंचे, देखें Video

लखनऊ से एक तस्वीर सामने आई है जहां पर प्रदर्शनकारियों के लिए नया कंबल, खाने-पीने डिब्बे में बंद सामान लाया गया. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि सामान किसने वहां भिजवाई.

Updated on: 19 Jan 2020, 09:16 AM

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कई जगह पर लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली के शाहीनबाग में लोग एक महीने से ज्यादा धरने पर बैठे हुए हैं. वहीं लखनऊ में घण्टाघर के पास लोग सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. सवाल यह है कि क्या यह प्रदर्शन लोग खुद कर रहे हैं या फिर इसके पीछे किसी का हाथ है. लखनऊ से एक तस्वीर सामने आई है जहां पर प्रदर्शनकारियों के लिए नया कंबल, खाने-पीने डिब्बे में बंद सामान लाया गया. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि सामान किसने वहां भिजवाई.

तस्वीरों को देखकर तो ऐसा लगता है कि यह आंदोलन के पीछे किसी का हाथ है. जो सीएए के खिलाफ उबाल लाने की कोशिश कर रहा है. मौके पर पहुंची पुलिस ने जब सामान को जब्त करने की कोशिश की तो वहां मौजूद लोग उसे ले जाने से मना करने लगे. यहां तक की वो लोग पुलिस से भीड़ गए.

कुछ दिन पहले खबर आई थी कि शाहीनबाग में लोगों को धरना प्रदर्शन करने के लिए हर रोज के 500-500 रुपए दिए जा रहे हैं. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई. बाद में सामने आया कि यह अफवाहें उड़ाई जा रही है.

वहीं, अलीगढ़ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने की कोशिश की गई. अलीगढ़ सिविल लाइंस के सर्कल अधिकारी (सीओ) अनिल सामनिया ने बताया कि कुछ महिलाओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय जन संख्या रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की . जो धारा 144 का उल्लंघन है. इसलिए 60-70 अज्ञात महिलाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. 

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गौरतलब है कि वर्तमान में मेरठ, कानपुर, दिल्ली, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

वहीं मोदी सरकार लोगों से अपील कर रही है कि सीएए किसी के खिलाफ नहीं है. इससे किसी की नागरिकता छिनी नहीं जाएगी, बल्कि यह नागरिकता देने वाला कानून है. सभी प्रदर्शनकारियों से सरकार प्रदर्शन खत्म करने की गुजारिश कर रही है. वहीं विपक्षी दल सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों के नेता प्रदर्शनकरने वाले जगह पर जा रहे हैं और लोगों को इसके खिलाफ आंदोलन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

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बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल 10 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पास हुआ. अगले दिन राज्यसभा में भी यह पास हो गया. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बिल ने कानून की शक्ल ले ली. सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर सताए गए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. इसके तहत हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन को नागरिकता दी जाएगी. लेकिन मुस्लिम को इस श्रेणी बाहर रखा गया है.