क्या है यूपी सरकार की कृषि सखी योजना, कैसे महिलाओं की बदल रही जिंदगी

Krishi Sakhi scheme: उत्तर प्रदेश में महिला आर्थिक सशक्तिकरण के सबसे बड़े मॉडलों में से एक बनकर सामने आया है. प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का जाल न केवल महिलाओं को जोड़ रहा है.

Krishi Sakhi scheme: उत्तर प्रदेश में महिला आर्थिक सशक्तिकरण के सबसे बड़े मॉडलों में से एक बनकर सामने आया है. प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का जाल न केवल महिलाओं को जोड़ रहा है.

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Dheeraj Sharma
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UP Krishi Sakhi Yojana

Krishi Sakhi scheme: उत्तर प्रदेश में महिला आर्थिक सशक्तिकरण के सबसे बड़े मॉडलों में से एक बनकर सामने आया है. प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का जाल न केवल महिलाओं को जोड़ रहा है, बल्कि उन्हें उद्यमिता और आत्मनिर्भरता की राह पर भी ले जा रहा है. बैंक सखी, बीसी सखी और कृषि सखी जैसे अभिनव मॉडल ग्रामीण महिलाओं के लिए कमाई का शक्तिशाली माध्यम बन चुके हैं. खास बात यह है कि बैंकिंग सेवाओं में महिलाओं की बढ़ती भूमिका ने गांवों में वित्तीय समावेशन को एक नई दिशा दी है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है.

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ओडीओपी योजना: स्थानीय हुनर को बाजार से जोड़ने का पुल

योगी सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है. इस योजना ने महिलाओं को उनके ही इलाके के पारंपरिक उत्पादों- जैसे हथकरघा, हस्तशिल्प, फूड प्रोसेसिंग और वुडक्राफ्ट से रोजगार प्राप्त करने का अवसर दिया है. सरकार की ओर से आसान ऋण, कौशल प्रशिक्षण, मार्केट लिंक और डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने से हजारों महिलाएं एक सफल उद्यमी के रूप में उभर रही हैं. ओडीओपी के चलते स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों तक नई पहचान मिली है, जिसका सीधा लाभ महिलाओं को हो रहा है.

स्टार्टअप नीति: महिलाओं को नई उड़ान

प्रदेश की स्टार्टअप नीति में महिलाओं को खास प्राथमिकता दी गई है. कृषि विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों की ओर से दी गई तकनीकी सहायता, अनुदान और मेंटरशिप ने महिलाओं को टेक आधारित उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित किया है.
महिला आधारित स्टार्टअप- जैसे पोषण उपक्रम, यूनिफॉर्म निर्माण, स्वच्छता सेवाएं और स्थानीय उत्पादन इकाइयां-गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं. इससे न केवल महिलाओं की आय बढ़ रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी आत्मनिर्भर बन रही है.

गांव से महानगर तक बढ़ती भागीदारी

सरकारी योजनाओं के प्रभाव से महिलाओं की भूमिका अब घर की चारदीवारी से बाहर आ चुकी है.  महिलाएं आर्थिक गतिविधियों का नेतृत्व कर रही हैं, बैंकिंग सेवाओं में सहभागी बन रही हैं और उद्यमिता की मजबूत मिसाल पेश कर रही हैं.
योगी सरकार के सुरक्षा, सम्मान और रोजगार आधारित प्रयासों ने महिलाओं को वह आत्मविश्वास दिया है, जिसके सहारे वे समाज में अपनी मजबूत पहचान बना रही हैं.

अयोध्या की क्रांति दीदी: ग्रामीण सशक्तिकरण का आदर्श उदाहरण

अयोध्या जिले के मसौधा ब्लॉक की क्रांति दीदी यह साबित कर रही हैं कि सही सहयोग मिल जाए तो ग्रामीण महिलाएं भी सफलता की ऊंचाइयों को छू सकती हैं. अवधपुरी महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य क्रांति दीदी ने 50,000 रुपये का ऋण लेकर अपनी आजीविका को विस्तार दिया और अन्य महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध कराया. उनका प्रयास गांव में महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय लिख रहा है.

महिला सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण आंकड़े

- 2025 तक यूपी में महिला स्वयं सहायता समूहों से 95 लाख महिलाएं जुड़ चुकी हैं.

- सभी ग्राम पंचायतों में तैनात बीसी सखियों द्वारा 32 हजार करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया.

- ओडीओपी में महिलाओं की भागीदारी 2018 से 2024 के बीच 35% बढ़ी है.

- 2025 तक 3200 से अधिक महिला स्टार्टअप रजिस्टर्ड हुए.

- 8.5 वर्षों में महिलाओं की श्रम शक्ति सहभागिता 14% से बढ़कर 35% हो गई है. 

(आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक)

उत्तर प्रदेश का यह परिवर्तन सरकार की नीतियों, महिला समूहों की मेहनत और सामाजिक बदलाव के संयुक्त प्रयास का परिणाम है. यूपी में महिला सशक्तिकरण को आर्थिक विकास की धुरी बनाते हुए नए भारत का मार्ग प्रशस्त कर रहा है. 

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