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What is the Gharouni Law: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कानूनी सुरक्षा देने के उद्देश्य से घरौनी कानून को मंजूरी दी है. इस कानून के तहत गांवों की आबादी में बने मकानों और भूखंडों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिसे घरौनी कहा जाएगा. यह रिकॉर्ड मालिकाना हक का आधिकारिक प्रमाण होगा, हालांकि इसे भूमि का पूर्ण पट्टा नहीं माना जाएगा.
यह पहल केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना (SVAMITVA) से जुड़ी हुई है, जिसके तहत ड्रोन सर्वे के माध्यम से गांवों की आबादी की मैपिंग की जा रही है.
Gharouni Law FAQs
Q. कानून लाने की जरूरत क्यों पड़ी?
अब तक गांवों के आबादी क्षेत्रों में बने मकानों के मालिकाना हक का कोई स्पष्ट और कानूनी दस्तावेज नहीं होता था. इस नए कानून से काफी बदलाव होगा...
- जमीन और मकान को लेकर विवाद
- सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में दिक्कत
- बैंक लोन और आर्थिक मदद पाने में बाधा जैसी समस्याएं सामने आती थीं. घरौनी कानून इन समस्याओं को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
Q. घरौनी कैसे बनेगी?
- गांवों में ड्रोन सर्वे के जरिए आबादी क्षेत्र की मैपिंग होगी
- प्रत्येक मकान/भूखंड का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा
- मालिक के नाम से घरौनी प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा
- यह रिकॉर्ड पंचायत और राजस्व विभाग के पास सुरक्षित रहेगा
Q. किन लोगों को होगा सीधा फायदा?
ग्रामीण मकान मालिक: जिनके पास वर्षों से मकान है लेकिन कोई कानूनी दस्तावेज नहीं था, उन्हें अब मालिकाना प्रमाण मिलेगा.
गरीब और मध्यम वर्ग: घरौनी के आधार पर बैंक से लोन लेना आसान होगा, जिससे स्वरोजगार और घर सुधार संभव होगा.
महिला सशक्तिकरण: घरौनी में महिलाओं का नाम दर्ज होने से उनकी संपत्ति में हिस्सेदारी मजबूत होगी.
युवाओं और छोटे कारोबारी: संपत्ति का रिकॉर्ड होने से वे वित्तीय संस्थानों से मदद ले सकेंगे.
Q. क्या फायदे होंगे?
- जमीन-मकान विवादों में कमी
- गांवों में संपत्ति का सही मूल्यांकन
- सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
घरौनी कानून उत्तर प्रदेश के ग्रामीण समाज के लिए एक ऐतिहासिक सुधार माना जा रहा है. यह न केवल कानूनी स्पष्टता लाएगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक रूप से भी गांवों को सशक्त बनाएगा. योगी सरकार की यह पहल 'डिजिटल इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक मजबूत कदम है.
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