आगरा में बस हादसे के बाद आज भी ग्रामीणों को सुनाई देती हैं चीख-पुकार, रात में नहीं आती नींद

आगरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर 8 जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे के बाद देवदूत की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को रात में नींद नहीं आती है.

आगरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर 8 जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे के बाद देवदूत की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को रात में नींद नहीं आती है.

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Dalchand Kumar
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आगरा में बस हादसे के बाद आज भी ग्रामीणों को सुनाई देती हैं चीख-पुकार, रात में नहीं आती नींद

फाइल फोटो

आगरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर 8 जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे के बाद देवदूत की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को रात में नींद नहीं आती है. ग्रामीणों ने समय पर राहत बचाव कार्य शुरू करके झरना नाले में गिरी अवध डिपो की बस में फंसे 20 से ज्यादा घायल लोगों की जान बचाई थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी. अब यमुना एक्सप्रेसवे पर तेज रफ्तार दौड़ रहे वाहनों की आवाज से ग्रामीणों की नींद खुल जाती है.

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हादसे के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचे निहाल सिंह और उनके भाई प्रेमपाल रातों को सो नहीं पा रहे हैं. निहाल ने 14 घायलों को अकेले ही अपने दम पर बस से निकाला था. निहाल सिंह का कहना है कि जब से वह हादसा हुआ है तब से उन्हें रात में नींद नहीं आती. सोते समय लोगों की मदद की चीख-पुकार सुनाई देती है. ऐसे में उनकी नींद खुल जाती है. उसे लगता है कि कोई उसे मदद के लिए बुला रहा है.

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निहाल के भाई प्रेमपाल सिंह का कहना है कि इस राहत कार्य में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन हादसे के बाद से उन्हें भी रात में नींद नहीं आती है. अब तेज रफ्तार वाहनों की आवाज से भी उनकी नींद खुल जाती है और ऐसा लगता है कि कहीं हादसा हो गया है. हमें दौड़ करके मदद करने के लिए जाना चाहिए.

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गौरतलब है कि हाल ही में आगरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर दर्दनाक हादसा हुआ था. एक डबल डेकर रोजवेज बस एक्सप्रेसवे पर रेलिंग तोड़कर करीब 30 फीट गहरे नाले में गिर गई थी. इस हादसे में 29 लोगों की जान चली गई थी. जबकि 20 के करीब लोग घायल हुए थे. राहत और बचाव कार्य में ग्रामीणों ने अहम भूमिका निभाई थी. पुलिस के साथ मिलकर ग्रामीणों ने ही घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाया था. नाले में से मृतकों के शवों को भी निकलवाया था.

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