उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की दो अलग-अलग रेंजों में ग्रामीणों ने दो तेन्दुओं को पीट-पीट कर मार डाला. इन दोनों तेन्दुओं में एक वयस्क था, जबकि दूसरा अभी एक साल का बच्चा था. मानव और इन जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की यह कहानी नई नहीं है अक्सर तेन्दुआ और बाघ जानवरों हमला कर कभी उनको घायल कर देते तो कभी इन्सान को अपने भोजन का निवाला बना लेते हैं तो दूसरी ओर जब कभी यह जंगली जानवर इन्सानों के बीच घिर जाते हैं तो वह भी इन पर बर्बरता करने से नहीं चूकते हैं.
गुरुवार को सुजौली रेंज के भैसहापुरवा में ग्रामीणों ने जिस तेंदुए पर हमला किया वह मात्र अभी एक साल का था, इस हमले की सूचना जब वन विभाग को मिली तो आनन-फानन में वन विभाग घटना स्थल पहुँचा. जिस समय वन कर्मी घटना स्थल पहुंचे हैं उस समय तेन्दुए का बच्चा ज़िन्दा था लेकिन जब-तक उसको प्राथमिक उपचार के लिए लाया जाता तब-उसने दम तोड़ दिया था.
वहीं दूसरा तेन्दुआ जो ककरहा के हड़ही पुरवा में ग्रामीणों द्वारा मारा गया वह पूर्ण वयस्क था और उसने घटना से पूर्व एक ग्रामीण और एक वन कर्मी को घायल भी किया था इसलिए ग्रामीण ज़्यादा क्रूर थे और उन्होंने लाठियों से पिटाई के साथ-साथ उसके भाला मार दिया था जिससे उसकी मौत हो गई.
फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने कहा कि दोनों घटनाओं को बड़ी बर्बरतापूर्ण तरीके से अन्जाम दिया गया यह जो घटना सुजौली रेंज में लोंगों ने अन्जाम दिया है, इसको देखकर ऐसा लगता है कि जैसे लोग संवेदन शून्य हो गए हों. दूसरी घटना भी दुखद है वहाँ वयस्क तेन्दुए को मारने के लिए भाले का प्रयोग किया है. इस इलाके के लोग मनुष्य कहलाने के लायक नहीं, हममें और राक्षस में क्या अन्तर है, हम वन्यजीवों के इलाके में रहकर उनसे नफरत कर रहे हैं यह बहुत घृणित है, इसमें जितने भी लोग शामिल हैं उनके साथ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करेंगें. इसमें 7 साल की सज़ा का प्राविधान है, ऐसे लोंगों की उल्टी गिनती शुरू हो गई.
Source : News Nation Bureau