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समाजवादी पार्टी के एक और पूर्व मंत्री कानूनी शिकंजे में! विजिलेंस ने शुरू की जांच

समाजवादी पार्टी सरकार के एक और मंत्री के खिलाफ विजिलेंस की जांच शुरू हो गई है. पूर्व मंत्री आजम खान और गायत्री प्रजापति के बाद अब सपा सरकार में मंत्री रहे मनोज पांडे की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

Updated on: 28 Feb 2021, 02:02 PM

लखनऊ:

भ्रष्टाचार के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सख्त रुख अपनाए हुए है और इस वक्त उसके निशाने पर प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा बड़े बडे नेता भी हैं. पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार के भी मंत्रियों पर कार्रवाई जारी है. इस बीच समाजवादी पार्टी सरकार के एक और मंत्री के खिलाफ विजिलेंस की जांच शुरू हो गई है. पूर्व मंत्री आजम खान और गायत्री प्रजापति के बाद अब सपा सरकार में मंत्री रहे मनोज पांडे की मुश्किलें बढ़ गई हैं. आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस विभाग ने मनोज पांडे के खिलाफ जांच शुरू कर दी है.

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समाजवादी सरकार में मनोज पांडे कृषि एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री थे और अभी रायबरेली से विधायक हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय को शिकायत मिलने के बाद मनोज पांडे की गोपनीय जांच की गई थी. गोपनीय जांच में मनोज पांडे के खिलाफ विजिलेंस को उनकी कई संदिग्ध सम्पत्तियों के बारे में जानकारी मिली थी. इसी आधार पर अब विजिलेंस विभाग ने मनोज पांडे के खिलाफ खुली जांच का फैसला किया है. जिसके बाद अब मनोज पांडे की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं. 

इससे पहले योगी राज में पूर्व की सपा सरकार के दो मंत्रियों को जेल में पहुंचा दिया गया है. कई आरोपों में फंसे आजम खान और गायत्री प्रजापति सलाखों के पीछे हैं.  बीते दिन आजम खान पर सरकार ने एक और कार्रवाई की. योगी सरकार ने आजम खान को मिलने वाली लोकतंत्र सेनानी पेंशन पर रोक लगा दी. यह फैसला आजम खान पर दर्ज आपराधिक मुकदमों को देखते हुए लिया गया. आजम खान पर 100 से भी ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं. उन पर जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जमीन कब्जाने के 26 मुकदमे किसानों ने दर्ज कराए थे. इसके अलावा सांसद आजम खान के खिलाफ 85 मुकदमे अदालतों में विचाराधीन हैं.

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वहीं गायत्री प्रजापति को गिरफ्तार कर 15 मार्च, 2017 को जेल भेज दिया गया था और तब से न्यायिक हिरासत में हैं. आरोप है कि प्रजापति ने अन्य सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की मिलीभगत से ई-टेंडरिंग की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना खनन पट्टों का नवीनीकरण किया और इस तरह जिले में अवैध खनन को बढ़ावा दिया था. फिलहाल ईडी 2012-2016 के बीच फतेहपुर जिले में रेत खनन पट्टों के नवीनीकरण के संबंध में उनकी भूमिका की भी जांच कर रही है. इसके अलावा यौन शोषण का भी आरोप है.