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वाराणसी में नवरात्र में हो रही हाइटेक दुर्गा पूजा, कहीं दिख रहा रॉकेट तो कहीं विक्रम लैंडर

उत्तर प्रदेश में धर्म और आध्यात्म की नगरी कहे जाने वाले वाराणसी में इस बार दुर्गापूजा के पंडाल हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं. कई दुर्गा पंडाल अपनी खास बनावट के कारण चर्चा में हैं.

Updated on: 05 Oct 2019, 08:52 AM

वाराणसी:

उत्तर प्रदेश में धर्म और आध्यात्म की नगरी कहे जाने वाले वाराणसी में इस बार दुर्गापूजा के पंडाल हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं. कई दुर्गा पंडाल अपनी खास बनावट के कारण चर्चा में हैं. अर्दली बाजार के न्यू डिलाइट क्लब की ओर अगर आप जाएं तो यह हो ही नहीं सकता कि आप चंद्रयान की तर्ज पर बने दुर्गा पंडाल को न देखें. किसी भी त्योहार में काशी अपना निराला रंग दिखाता है. यही कला इस बार दुर्गापूजा के देवी पंडालों में देखने को मिल रही है.

सप्तमी से यहां देवी स्थापित होंगी. जहां चंद्रयान-2 की झलक पूरे पंडाल में दिखेगी. यहां आपको ऐसा लगेगा जैसे पंडाल में नहीं बल्कि अंतरिक्ष यान में आ गए हैं. कोलकाता से आए दो दर्जन कारीगरों ने इस पंडाल को तैयार किया है. सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यहां एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

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वहीं दूसरी ओर वाराणसी के जैतपुरा बागेश्वरी के रहने वाले एक परिवार के 4 बच्चों और उनके दोस्तों ने मिलकर दुर्गापूजा के लिए खास तौर पर मिशन चंद्रयान 3 का लैंडर बनाया है. उन्होंने 6 एस्ट्रोनॉट भी बनाए हैं. यह सारी चीजें घर के कचरे, लकड़ी, फोम, लोहा, कपड़े, तारों और पाइपों से मिलाकर बनाई गई हैं.

वाराणसी में देवी दुर्गा पूजा समिति का पंडाल को इस बार चंद्रयान-2 का रूप दिया जा रहा है. एक परिवार के बच्चों ने चंद्रयान 3 के लिए विक्रम लैंडर और 6 एस्ट्रोनॉट बनाए जो बेहद आकर्षक है. इन लोगों ने बताया की एस्ट्रोनॉट 2 हम पंडाल के अंदर फिट करेंगे,जो हवा में मूवमेंट करेंगे. बाकी 4 बाहर मूवमेंट में रहेंगे. इसरो चीफ के शिवन की स्टेच्यू बाहर कंप्यूटर ऑपरेट करते दिखेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट को बनाने में हमें 2 महीनों का समय लगा है.

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इसके अलावा इस पूजा पंडाल में एक एस्ट्रोनॉट महिला भी है. बेटियां किसी से कम नहीं. कल्पना चावला की तरह पंडाल में एक महिला एस्ट्रोनॉट भी रहेगी. बॉडी पर सभी के स्क्रीन रहेगा. जो लाइटिंग के जरिये लोगो को रीयल फील देगा. हमारी सोच देश के वैज्ञानिकों को समर्पित है. यूनिक सोच के जरिये हम समाज को एक मैसेज देना चाहते हैं कि घर का कबाड़ भी यूजफुल हो सकता है और हम माँ से प्रार्थना कर रहे है की इस बार हमारा प्रयास सफल हो.