45 साल से संस्कृत में लड़ रहे मुकदमा, अबतक कोई हरा नहीं पाया.. पढ़िए इस अनोखे वकील की जबरदस्त कहानी

काशी में एक ऐसे वकील हैं, जो मुकदमा संस्कृत भाषा में लड़ता है. इनका नाम आचार्य श्यामजी उपाध्याय हैं. उन्होंने 45 साल के पेश में कोई हरा नहीं पाया है.

काशी में एक ऐसे वकील हैं, जो मुकदमा संस्कृत भाषा में लड़ता है. इनका नाम आचार्य श्यामजी उपाध्याय हैं. उन्होंने 45 साल के पेश में कोई हरा नहीं पाया है.

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Sourabh Dubey
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up news ( Photo Credit : news nation)

जब भारत पर मुगलों का राज था, तब अदालती भाषा उर्दू थी.. जब अंग्रेजी हुकूमत आई, तो अदालत में अंग्रेजी और हिंदी भाषा का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा और ये सिलसिला आज भी बरकरार है. मगर आज हम आपको एक ऐसे वकील के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अदालत में हिंदी, अंग्रेजी या उर्दू में नहीं.. बल्कि संस्कृत भाषा में मुकदमा लड़ता है. इस वकील का नाम है, आचार्य श्यामजी उपाध्याय.. ये वकील इस कदर होनहार है कि, उन्हें अपने 45 साल के पेश में कोई हरा नहीं पाया है. चलिए पढ़ते हैं काशी के इस वकील के कहानी.

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श्यामजी उपाध्याय पेशे से वकील हैं. वह पिछले 45 वर्षों से उत्तर प्रदेश के वाराणसी में संस्कृत में कानून का अभ्यास कर रहे हैं. जब उनसे सवाल किया गया कि, आखिर उन्होंने वकालत के लिए अंग्रेजी, हिंदी, या उर्दू के बजाय संस्कृत को क्यों चुना, तो उन्होंने अपने जवाब में अपनी जिंदगी की एक महत्वपूर्ण घटना बताई.

ये था वो किस्सा...

साल था 1954 का, श्यामजी उपाध्याय उस वक्त तकरीबन सात साल के रहे होंगे. वह अपने पिता के पंडित संघत प्रसाद उपाध्याय के साथ मिर्ज़ापुर दरबार में गये थे. तब उन्होंने अपने पिता को किसी से ये कहते सुना कि, यहां अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में चर्चाएं होती हैं, लेकिन संस्कृत में कोई नहीं करता. उसी वक्त श्यामजी उपाध्याय ने अपने पिता की इच्छा पूरी करने की कसम खाई और  बनारस अदालत में मुकदमे लड़ना शुरू कर दिया.

बतौर आपराधिक मामलों के वकील श्यामजी उपाध्याय ने 1978 से अब तक कई मुकदमे लड़े हैं. उनका दावा है कि, उन्होंने अब तक एक भी मुकदमा नहीं हारा है. वह वाराणसी के सत्र न्यायालय में वकालत करते हैं.

कई बार कोर्ट को भी समझाना पड़ता है... : श्यामजी 

उनका कहना है कि, अदालती सुनवाई के दौरान वह केवल सरल संस्कृत शब्दों का ही इस्तेमाल करते हैं. उनके पास एक अनुवादक होता है, जो अनुवाद कर उनके तर्कों और दलीलों को समझाता है. कई बार वे खुद भी कोर्ट को हिंदी में मतलब समझाते हैं. न सिर्फ इतना, बल्कि श्यामजी कोर्ट में हलफनामा और अन्य दस्तावेज संस्कृत में ही जमा करते हैं. 

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Source : News Nation Bureau

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