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Ghats flooded, streets turn into cremation grounds( Photo Credit : News Nation/Sushant Mukherjee)
वाराणसी में गंगा खतरे के निशान के चेतावनी बिंदु के पास बह रही है. काशी के 84 घाट गंगा में जल समाधि ले चुके हैं. मोक्ष की नगरी में अब मोक्ष पाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. महाश्मशान पूरी तरीके से डूब चुके हैं. यहां तक कि महाश्मशान जाने वाली सड़क भी जलमग्न हो चुकी है. वहां पर नाव चल रही है. ऐसे में शवों को लेकर पहुंचे परिजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. और फिर मजबूरी में उन्हें किसी तरीके से बनारस की गलियों में शवदाह के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इससे स्थानीय लोग तो परेशान हो ही रहे हैं, सबसे ज्यादा मानसिक परेशानी उन लोगों को हो रही है, जो अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देने आ रहे हैं.
सभी घाटों को आगोश में ले चुकी हैं मोक्षदायिनी गंगा
वाराणसी में मोक्षदायिनी गंगा घाट के किनारों से आगे बढ़ चुकी हैं. बनारस के एक-दो नहीं, बल्कि सभी घाट अब उन्हीं में समाहित हो चुके हैं. खुद गंगा जी की उफान का आलम ये है कि सड़कों को भी अपनी आगोश में लेती दिख रही हैं. ऐसे में वाराणसी में स्थित विश्वप्रसिद्ध श्मशान घाटों तक लोगों का पहुंचना मुश्किल हो रहा है. लोग अपने प्रियजन को आखिरी विदाई भी ठीक से नहीं दे पा रहे हैं. मजबूरी में गलियों में उन्हें चिता सजानी पड़ रही है.
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घंटों करना पड़ रहा है इंतजार
इसकी वजह ये है कि श्मशान घाट तो डूब ही चुके हैं, साथ ही वो सड़क भी डूब चुकी है, जिससे होकर लोग घाट तक जाते हैं. लोग मजबूरी में गलियों में ही खाली जगह पर अंतिम संस्कार कर दे रहे हैं. शवों की लाइन लगी है, लेकिन आग जलने भर का समय मिलने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में कह सकता हैं कि मोक्ष की नगरी में मोक्ष पाना इस समय बेहद मुश्किल हो गया है.
HIGHLIGHTS
- मोक्षनगरी में मोक्ष पाना हुआ मुश्किल
- उफान पर मां गंगा, हर तरफ फैला पानी
- घाट डूबे, गलियों में हो रहे अंतिम संस्कार
Source : Sushant Mukherjee