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वाराणसी में सांपों के अनोखे दोस्त हैं ये पिता-पुत्र, पकड़ चुके हैं हजारों सांप

सांप का नाम सुनते ही सभी के मन में दहशत फैल जाती है. लोग किसी भी कीमत पर उसे मारना चाहते हैं. लेकिन वाराणसी में एक ऐसा पिता पुत्र है जो सांपो का दोस्त है. जी हां सभी इन दोनों को सांपो का दोस्त मानते हैं.

Updated on: 04 Aug 2019, 06:36 PM

highlights

  • वाराणसी में पिता पुत्र पकड़ चुकें हैं हजारों सांप
  • पिता ने अब तक पकड़े हैं 14 हजार से ज्यादा सांप
  • 11 साल का बेटा भी अब पकड़ता है सांप

वाराणसी:

सांप का नाम सुनते ही सभी के मन में दहशत फैल जाती है. लोग किसी भी कीमत पर उसे मारना चाहते हैं. लेकिन वाराणसी में एक ऐसा पिता पुत्र है जो सांपो का दोस्त है. जी हां सभी इन दोनों को सांपो का दोस्त मानते हैं. अब तक इन लोगों ने मिलकर लगभग 14 हजार से भी ज्यादा सांप पकड़ें हैं.

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चाहे कितना भी खतरनाक सांप हो तुरंत इसे ये काबू में कर लेते हैं. सबसे ख़ास बात तो ये है कि सांपो का दोस्त एक 11 साल का बच्चा भी है. नागपंचमी के दिन नाग को मुक्त करने की भी परंपरा जो ये पिता पुत्र निभाते हैं. ये पिता पुत्र सर्प के साथ शिवलिंग की पूजा भी करते हैं.

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वाराणसी के रत्न जो पेशे से घड़ी और टोर्च बनाने का काम करता हैं सिर्फ दुकानदार ही नहीं है इनके अन्दर सांपो को पकड़ने की भी अनोखी कला है. वाराणसी के मिर्जामुराद या आस-पास के इलाके में जहा भी सांप पकड़ा जाता है लोग तुरंत रत्न उर्फ़ कोबरा को बुलाते है. जैसे ही रत्न को सांप की सूचना मिलती है वो उसे पकड़ने के लिए निकल पड़ते हैं.

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खतरनाक कोबरा को रत्न ने पल भर में पकड़ा और एक डिब्बे में डाल देते हैं. जिस सांप को देखकर लोग भागते नजर आ रहे थे उसे रत्न बड़े ही आसानी से अपने काबू में कर लेते हैं. रत्न बताते हैं कि आज से करीब 15 साल पहले जिस मकान में वो रहते थे वहां बहुत सांप निकला करते थे और लोग उन्हें मार दिया करते थे.

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जिसे देख कर उन्हें बहुत ख़राब लगता था. उसके बाद जब सांप निकलता तो वो उन्हें पकड़ने लगे और धीरे-धीरे वो सभी सांपो को पकड़ने लगे. पकड़ने के बाद वह उसे दूर खेत में छोड़ कर आते थे. इसके बाद सांपो से उसकी ऐसी दोस्ती हुई कि आज उसके रहते कोई सांपो को मारता नहीं है. रत्न का मानना है कि अगर सांप नहीं रहे तो हमारे खेत चूहे बर्बाद कर देंगे.

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ये भी हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं. सांप और मेरी दोस्ती ईश्वर की कृपा है. रत्न बताते हैं कि अब तक मैंने 14 हजार से ज्यादा सांप पकड़े हैं जिनमे कोबरा, अजगर, गेहुमन सहित कई खतरनाक प्रजातियां शामिल हैं. रत्न का कहना है कि अब तो काफी दूर-दूर से लोग उसे सांप पकड़ने के लिए बुलाते है.

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सिर्फ रत्न ही नहीं बल्कि इस काम में रत्न का सबसे छोटा बेटा जो मात्र 11साल का है जय कुमार वो भी सहयता करता है और छोटा मोटा सांप तो वो अकेले भी पकड़ लेता है. उसे जरा भी डर नहीं लगता. बड़ी ही आसानी से वो सांप को पकड़ कर उठा लेता है. और ये काम वो पिछले 4 साल से अपने पिता के साथ करता है.

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सांपो को ही वो अपना दोस्त मानता है. रत्न भी बताते है की उनका बेटा भी सांपो को अपना दोस्त मानता है और उसे ज़रा भी डर नहीं लगता. ये पिता पुत्र सर्प को पकड़ने के बाद मुक्त करते है खासतौर पर नागपंचमी के दिन शिवलिंग के साथ सर्प का पूजन कर उसे मुक्त कर दते हैं. अगर किसी के घर में भी सांप निकल जाये तो तुरत रत्न को बुलाया जाता है.

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रत्न अपनी जान पर खेलकर उस सांप को काफी देर बाद काबू करते हैं. इस दौरान सांप फुफकार भी भरता है पर रत्न हिम्मत नहीं हारता और उसे एक डब्बे में डालकर ले जाता है. लोग भी रत्न के इस काम की काफी सराहना करते हैं. लोगों का मानना है कि सांप और इंसान की ऐसी दोस्ती उन्होंने कभी नहीं देखी.

वाराणसी के पंडित ऋषि दिवेदी मानते हैं कि इस बार सावन के सोमवार के साथ नागपंचमी पड़ रही है. ऐसे में नाग की पूजा का विशेष महत्व है. बताया जाता है की अगर आज के दिन नाग को मुक्त किया जाये तो सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और इसका विशेष महत्व है.