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PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बिजली विभाग ने स्कूल को भेजा 618.5 करोड़ का बिल

बिजली विभाग ने कितना गलत बिल भेजा होगा, नहीं क्योंकि ये आंकड़ा सौ, हजार लाख करोड़ में नहीं है बल्कि अरब में है, वो एक, दो और पांच अरब नहीं बल्कि 6 अरब से भी ज्यादा.

Updated on: 05 Sep 2019, 05:06 PM

highlights

  • स्कूल को भेजा 618.5 रु. करोड़ बिजली का बिल
  • बिल के भुगतान की अंतिम तारीख 7 सितंबर
  • बिजली विभाग ने भी इस मुद्दे से पल्ला झाड़ा

नई दिल्ली:

पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली विभाग का नया कारनामा सामने आया है. बिजली विभाग ने वाराणसी के एक प्राइवेट स्कूल को बिजली का ऐसा बिल भेजा है जिसे कोई सोच भी नहीं सकता है. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिजली विभाग ने कितना गलत बिल भेजा होगा, नहीं क्योंकि ये आंकड़ा सौ, हजार लाख करोड़ में नहीं है बल्कि अरब में है, वो एक, दो और पांच अरब नहीं बल्कि 6 अरब से भी ज्यादा. सुनकर चौंक गए ना हर कोई दंग रह गया जिसने बिजली का यह बिल देखा. उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों बिजली के दाम महंगे हो गए हैं. एक तरफ उत्तर प्रदेश निकल बिजली के दाम महंगे हो गए हैं, जिससे उपभोक्ताओं के बजट पर काफी प्रभाव पड़ा है.

उत्तर प्रदेश में बिजली के बढ़े दामों के बाद पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली विभाग की यह बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. जहां बिजली विभाग ने एक प्राइवेट स्कूल को 618.5 करोड़ रुपए का बिजली का बिल भेज दिया है. यह मामला वाराणसी के विनायका इलाके में एक निजी स्कूल का है. इस स्कूल को बिजली विभाग ने 6 अरब 18 करोड़ 51 लाख रुपए का बिजली बिल भेजा है.

                                              

बिजली विभाग ने प्राइवेट स्कूल को यह भारी-भरकम बिल भेजने के साथ ही अल्टीमेटम भी दिया है कि अगर 7 सितंबर तक यह बिल जमा नहीं किया गया तो स्कूल का कनेक्शन काट दिया जाएगा. दरअसल वाराणसी के यह निजी स्कूल शहर के विनायका इलाके में स्थित है. बिजली विभाग द्वारा भेजे गए इस बिल को देखने के बाद स्कूल के प्रबंधन ने हैरानी जताई है. बिजली विभाग द्वारा भेजा गया बिजली का यह बिल स्कूल के प्रबंधन के लिए जमा कर पाना असंभव है. स्कूल प्रबंधन तो क्या इतने बड़े अमाउंट का बिल तो शायद ही कोई संस्था वहन कर पाए.

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बिजली के बिल के भुगतान की राशि 618.5 करोड़ रुपए है. इतना भारी-भरकम बिल आने के बाद जब स्कूल प्रबंधन ने बिजली विभाग से संपर्क किया तो बिजली विभाग ने इससे पल्ला झाड़ते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए, जिसकी वजह से स्कूल प्रबंधन को रोज बिजली दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. दूसरी तरफ बिजली बिल के भुगतान की अंतिम तिथि भी 7 सितंबर है इस पर बिजली विभाग के कर्मचारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं और किसी को ये बात हजम नहीं हो पा रही है कि एक प्राइवेट स्कूल के बिजली का बिल इतना कैसे आ सकता है.

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