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इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की वैधता को इलाहाबाद HC में चुनौती

वक्फ बोर्ड द्वारा (Waqf board) गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउन्डेशन ट्रस्ट की वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट मे चुनौती दी गयी है. याचिका मे कहा गया है कि ट्रस्ट के गठन के दस्तावेज मंगवा कर रद्द किया जाय.

Updated on: 18 Jun 2021, 02:56 PM

इलाहाबाद:

अयोध्या में जिस इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम की जिस संस्था की देखरेख में धन्नीपुर मस्जिद का निर्माण कार्य चल रहा है, उसी की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस याचिका पर अब 26 जुलाई को सुनवाई की जाएगी. वक्फ बोर्ड द्वारा (Waqf board) गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउन्डेशन ट्रस्ट की वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट मे चुनौती दी गयी है. याचिका मे कहा गया है कि ट्रस्ट के गठन के दस्तावेज मंगवा कर रद्द किया जाय. कोर्ट ने कहा कि जिन दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गयी है वे याचिका के साथ दाखिल ही नहीं हैं. ऐसे में जो दस्तावेज कोर्ट में हैं ही नहीं उन्हें रद्द करने पर विचार नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने दस्तावेज तलब करने की मांग अस्वीकार कर दिया किन्तु न्याय हित में याची को चार हफ्ते में दस्तावेज दाखिल करने का समय दिया है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया है कि यदि दस्तावेज दाखिल नहीं किये गये तो याचिका अपने आप ही खारिज हो जायेगी. याचिका की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने नदीम अहमद व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका मे 1जुलाई 20को जारी अधिसूचना को भी रद्द किए जाने की मांग की गयी है.इसपर कोर्ट ने कहा कि अन्य जनहित याचिका मे इसे वैध करार दिया जा चुका है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के गठन की वैधता को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी गई चुनौती में इस बात की अपील की गई है कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के गठन के दस्तावेज मंगाकर उनको रद किया जाए. कोर्ट ने कहा कि जिन दस्तावेजों को रद करने की मांग की गई है वह याचिका के साथ दाखिल ही नहीं है.

आपको बता दें कि अयोध्या में धन्नीपुर मस्जिद का निर्माण इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की निगरानी में हो रहा है. धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद की आकृति और आकार लगभग बाबरी के बराबर ही होगा. अयोध्या में पिछले कई दशकों के लम्बे विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वो मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दे जिसके बाद यूपी सरकार ने मस्जिद के लिए जमीन दी है.