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पीएम नरेंद्र मोदी ने हाईकोर्ट में दाखिल किया जवाब, वाराणसी लोकसभा से निर्वाचन की वैधता को मिली है चुनौती

पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी लोकसभा से निर्वाचन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई.

Updated on: 21 Aug 2019, 05:38 PM

प्रयागराज:

पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी लोकसभा से निर्वाचन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. इस मामले में पीएम मोदी की ओर से जवाब दाखिल किया गया. तेज बहादुर यादव की याचिका पर पोषणीयता पर की गयी आपत्ति, कोर्ट ने याची अधिवक्ता को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. अब इस मामले में 4 सितम्बर को अगली सुनवाई होगी. 

पीएम मोदी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र जैन व केआर सिंह ने बहस के दौरान कोर्ट को बताया कि कहा तेज बहादुर वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के वोटर नहीं हैं. और तेज बहादुर यादव का नामांकन खारिज हो गया था इसलिए वह वैध उम्मीदवार नहीं हैं.

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वहीं याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने पक्ष रखा. पीएम मोदी की तरफ से आपत्ति की गयी कि सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 86 (1) के तहत याचिका बिना वाद कारण स्पष्ट किए दाखिल की गयी है. इसी आधार पर ख़ारिज करने की मांग की गई. पीएम मोदी के वकील ने कहा चुनाव में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है.  यह सुनवाई जस्टिस एम के गुप्ता की एकलपीठ में हुई.

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बता दें तेज बहादुर यादव ने अपनी चुनाव याचिका में आरोप लगाया है कि वाराणसी के रिटर्निंग अधिकारी द्वारा गलत ढंग से उनका नामांकन पत्र खारिज किया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सके जो उनका संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने अदालत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी से बतौर सांसद निर्वाचन अवैध घोषित करने का अनुरोध किया है. यादव ने दलील दी है कि चूंकि मोदी ने नामांकन पत्र में अपने परिवार के बारे में विवरण नहीं दिया है, इसलिए उनका नामांकन पत्र भी रद्द किया जाना चाहिए था जो नहीं किया गया.

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याचिकाकर्ता के वकील की यह दलील सुनने के बाद कि नामांकन खारिज करने से पहले उनके मुवक्किल को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया, न्यायमूर्ति एमके गुप्ता ने यह नोटिस जारी किया. उल्लेखनीय है कि कई निर्वाचित सांसदों के चुनावों को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

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बता दें 19 मई को लोकसभा चुनाव 2019 के आखिरी चरण की वोटिंग थी. 29 अप्रैल को तेज बहादुर यादव ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था. इसे एक मई को रिटर्निंग ऑफिसर ने खारिज कर दिया. रिटर्निंग ऑफिसर के मुताबिक तेज बहादुर को 19 अप्रैल 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन नामांकन पत्र में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया.

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इसके बाद बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें चुनाव अधिकारी और तेज बहादुर के नामांकन रद करने के बीच दखल देने का कोई आधार नहीं मिला.