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उत्तर प्रदेश : जातिवार जनगणना को लेकर नोक-झोंक, सपा का सदन से बर्हिगमन

सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सपा के सभी विधायक सदन से बर्हिगमन कर गए.

Updated on: 27 Feb 2020, 08:11 AM

Lucknow:

उत्तर प्रदेश में जातिवार जनगणना को लेकर बुधवार को विधान परिषद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर नोक-झोंक हुई. इस कारण सदन की कार्यवाही एक घंटे बाधित रही. सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सपा के सभी विधायक सदन से बर्हिगमन कर गए. सदन में हुए हंगामे के दौरान स्थगन से पहले पीठासीन अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस विषय पर जो भी चर्चा हुई है, वह सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनेगी और उन्होंने नोटिस खारिज करने तक की व्यवस्था दे डाली. जब 55 मिनट के स्थगन के बाद नेता सदन और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के अनुरोध पर सिंह ने पहली वाली व्यवस्था खत्म करते हुए, स्थगन से पहले हुई चर्चा को सदन की कार्यवाही का हिस्सा मान लिया.

शून्य प्रहर के दौरान सपा सदस्यों ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव से पहले भाजपा लगातार समय-समय पर जातिवार जनगणना कराने की बात करती रही, लेकिन अब जब 2021 में जनगणना होने जा रही है तो भाजपा इससे किनारा कर रही है. प्रधानमंत्री ने खुद पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के समय जातिवार जनगणना कि बात कही थी.

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सपा सदस्य सुनील सिंह साजन ने कहा कि देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल चाहते थे कि 1951 में जनगणना जातिवार हो, लेकिन उनकी मौत के बाद तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने जाति का कॉलम हटा दिया था. सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार इसकी मांग कर रहे हैं. अगर सरकार सही में 'सबका साथ, सबका विकास' चाहती है तो जातिवार जनगणना क्यों नहीं करा रही है. ऐसा होने से जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण की सुविधा मिलेगी.

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा गरीब, पिछड़ों और कमजोर वर्ग के लोगों को उनका अधिकार नहीं देना चाहती. सपा सदस्य और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश चंद्र उत्तम ने कहा कि जातिवार जनगणना की शुरुआत अंग्रेजों ने शुरू की थी, और वह 1941 तक चली. सरदार पटेल के निधन के बाद राममनोहर लोहिया ने 1956 में फिर जातिवार जनगणना की बात उठाई थी.

उत्तम ने कहा कि यह मामला संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गया और न्यायलय ने भी कहा कि होनी चाहिए. खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देंगे. सपा नेता ने जब सीएए और एनपीआर की बात उठाई तो पीठासीन अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह ने आपत्ति की.

नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि यह मुद्दा बहुत बड़ा है. जातिवार जनगणना करा ली जाए, जिससे हर जाति की गिनती हो जाएगी और जरूरतमंद लोगों को उनका हक मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि यह पूरे सदन की मांग है और अगर इसको अमल में लाया जाए तो बहुत सी समस्याओं का हल हो जाएगा.

सरकार की तरफ से जवाब देते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि जातिवार जनगणना प्रदेश से जुड़ा मामला नहीं है. यह लोकसभा और केंद्र सरकार से जुड़ा मामला है. जब सपा सदस्यों ने आपत्ति जताई तो उन्होंने एक बार फिर कहा कि यह गृह मंत्रालय से जुड़ा विषय है, और इसका प्रदेश सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. इस दौरान उन्होंने कुछ तल्ख टिप्पणी की, जिससे उत्तेजित सपा के सदस्य वेल में आ कर नारेबाजी करने लगे.

पीठासीन अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह ने सपा सदस्यों को अपनी सीट पर जाने को कहा. उन्होंने कहा कि सरकार का जवाब विपक्ष के सदस्य सरकार का जवाब सुन लें, लेकिन जब उत्तेजित सदस्य नहीं माने तो पहले उन्होंने कार्यस्थगन की सूचना को निरस्त करने कि घोषणा की और फिर ग्रहता पर हुई चर्चा को भी सदन की कार्यवाही को से बाहर करने की व्यवस्था दी.

हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही पहले 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी, जो बढ़ते-बढ़ते 55 मिनट तक के लिए हो गई. जब सदन की कार्रवाई दोबारा शुरू हुई तो नेता सदन दिनेश शर्मा ने औपचारिक निवेदन किया कि परिषद सुचारु रूप से चले और जो भी असंवैधानिक, असभ्य और अमर्यादित शब्द हैं, उनको कार्यवाही से निकाल दिया जाए. इस पर पीठासीन अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पहले दी गई व्यवस्था वापस ली जाती है.

मंत्री अनिल राजभर ने एक बार फिर कहा कि जनगणना की व्यवस्था से प्रदेश सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, यह केंद्र का मसला है.