Meerut: उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक शहर मेरठ अब सिर्फ खेल सामग्री और क्रांति की धरती के नाम से नहीं जाना जाएगा, बल्कि यह शहर अपने अनोखे स्वाद वाली चाट के लिए भी नई पहचान बना रहा है. दशकों पुरानी यह चाट अब नमो भारत स्टेशन की दीवारों पर भी नजर आएगी. एनसीआरटीसी ने जब नमो भारत ट्रेनों के स्टेशनों को स्थानीय पहचान देने की योजना बनाई, तो मेरठ की मशहूर चाट को इस शहर की प्रतीक पहचान के रूप में शामिल किया गया.
मेरठ की गलियों में हर मोड़ पर चाट की खुशबू महसूस की जा सकती है. यहां के गोलगप्पे, दही भल्ले, आलू चाट और राज कचौरी का स्वाद लोगों की पहली पसंद है. कहा जाता है कि मेरठ की चाट में मसालों का ऐसा जादू है जो एक बार खाने के बाद लोगों को बार-बार लौटने पर मजबूर कर देता है.
यहां के स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि मेरठ की चाट में इस्तेमाल किए जाने वाले मसाले घर में ही तैयार किए जाते हैं — जिसमें पीली गोलकी नमक, गरम मसाला, काली मिर्च, जीरा, धनिया और अदरक-हरी मिर्च का खास मिश्रण होता है. इन सबके साथ खट्टी-मीठी अमावट और इमली की चटनी, उबले मटर का छोला, ताजा दही और हरा धनिया इस स्वाद को और निखार देते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि यहां चाट आज भी पर्यावरण अनुकूल मालधन के पत्तों पर परोसी जाती है, न कि डिस्पोजल प्लेट में. यह परंपरा न सिर्फ स्वाद की, बल्कि संस्कृति और प्रकृति के प्रति सम्मान की भी मिसाल है.
मेरठ में चाट की शुरुआत करीब 1960 के दशक में हुई थी. पुराने दुकानदार बताते हैं कि यह परंपरा अब तीन पीढ़ियों से चल रही है. आज भी कई परिवार वही पुरानी रेसिपी और तरीकों से चाट बनाते हैं.
मेरठ की चाट के स्वाद के दीवाने सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से आने वाले सैलानी भी हैं. मास्टर शेफ संजीव कपूर ने भी मेरठ की चाट की तारीफ की है. सरधना स्थित रोमन कैथोलिक चर्च में आने वाले विदेशी मेहमान भी अबू लेन की चाट का स्वाद लिए बिना नहीं लौटते.
नमो भारत स्टेशन की दीवारों पर बनाई गई रंगीन कलाकृतियां अब इस स्वाद की कहानी बयां करेंगी — जो बताती हैं कि मेरठ सिर्फ इतिहास का शहर नहीं, बल्कि स्वाद का शहर भी है.