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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश की जेलें अपराधियों के लिए ऐशगाह बनती नजर रही हैं. जिलों के अंदर से कभी कैदियों के द्वारा मौज-मस्ती के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं. तो कभी जेलों में मोबाइल फोन मिलते हैं. जेलों में लगातार मिल रहे मोबाइल फोन और वायरल हो रहे वीडियोज की वजह से योगी सरकार भी परेशान हो चुकी हैं. इसको रोकने के लिए अब सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही प्रिजन एक्ट में कर सकती है.
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उत्तर प्रदेश में अपराधी अगर जेल चले जाएं तो उनके लिए कोई बहुत बड़ी दिक्कत नहीं होती. वह वहां भी मौज ही काटते हैं. इसका उदाहरण कई बार देखने को मिला है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. योगी सरकार जल्द ही प्रिजन एक्ट में बदलाव करने जा रही है. इसके तहत अब अपराधियों के पास मोबाइल मिलने और जेलकर्मी द्वारा मोबाइल उपलब्ध कराने में संलिप्तता पाए जाने पर 3 साल की सजा होगी. साथ ही 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा.
अगर मोबाइल का किसी अपराध में इस्तेमाल पाया जाता है तो 3 से 5 साल तक सजा दी जाएगी. ये सजा उस सजा के अतिरिक्त होगी जो कि कैदी जेल में भुगत रहा होगा. जेल में मोबाइल की बार बार बरामदगी की वजह से सरकार ये कड़े कदम उठाने को मजबूर हुई है.
इससे पहले हाल ही में पुलिस महानिदेशक (करागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं) डीजी आनंद कुमार ने बताया था कि जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जाएगा. इसके लिए 1300 पुलिस जवानों के प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिल गई है. उन्होंने बताया था कि इन जवानों पर 24 घंटों प्रदेश की 25 अतिसंवेदनशील जेलों में तलाशी और बाहरी सुरक्षा का जिम्मा रहेगा. डीजी आनंद कुमार ने कहा था कि 45 दिनों के बाद इन सिपाहियों को बदला जाएगा और इनकी जगह दूसरे सिपाही लगाए जाएंगे.
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की जेलों से लगातार मोबाइल मिलते रहे हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया में अपराधियों के मौज-मस्ती के कई वीडियो भी वायरल हुए थे. जेलों के अंदर से इस तरह की घटनाओं को लेकर प्रशासन की खूब किरकिरी हो चुकी है. इन घटनाओं में जेलकर्मियों की भूमिका भी सामने आ चुकी है. अधिकारियों ने खुद माना है कि जेलों में मोबाइल और अन्य आपत्तिजनक सामग्री पहुंचाने में जेलकर्मियों की भूमिका है.
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