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इलाहाबाद HC की तल्ख टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने योगी सरकार पर बोला हमला

यूपी के स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर HC के टिप्पणी पर कांग्रेस ने योगी सरकार पर बोला हमला है.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने हाईकोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने यूपी की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बिल्कुल सही कहा है.

Updated on: 18 May 2021, 12:29 PM

प्रयागराज:

यूपी के स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर HC के टिप्पणी पर कांग्रेस ने योगी सरकार पर बोला हमला है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने हाईकोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने यूपी की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बिल्कुल सही कहा है. यूपी के छोटे कस्बों और गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं वाकई राम भरोसे हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल नहीं खुलते हैं. प्रमोद तिवारी ने आगे कहा कि जहां पर अस्पताल खुलते हैं वहां डॉक्टर तैनात नहीं है, जहां डॉक्टर तैनात हैं वह रात में पीएचसी और सीएचसी पर रुकते नहीं हैं और जहां डॉक्टर रुकते हैं वहां पर दवाएं नहीं है. कोरोना से लड़ने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी डॉक्टरों के पास न अक्सीजन है और न ही दवाएं हैं.

कांग्रेस नेता ने यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हाईकोर्ट राज्य सरकार से पिछले 4 साल में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों की जानकारी मांगे तो पोल खुल जाएगी.डॉक्टरों और पैरामेडिकल की कितनी आवश्यकता है और कितने नियुक्त हुए तो यूपी सरकार का चेहरा बेनकाब हो जाएगा.

वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि बीजेपी सरकार को कांग्रेस सरकार का धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के शासनकाल में ही स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए पैसा दिया गया. उस पैसे से संविदा पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई थी, जिनके भरोसे आज प्रदेश की पीएचसी और सीएचसी की स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं.

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बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते प्रकोप पर चिंता जताते हुए तीखी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था (Health System) बहुत कमजोर है. मौजूदा चिकित्सा सुविधाएं सामान्य समय में लोगों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकतीं इसलिए कोरोना महामारी के सामने इसे ध्वस्त होना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि इसमें सुधार की बहुत जरूरत है. यह आदेश कोरोना महामारी को लेकर व्यवस्था की निगरानी कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने दिया है.