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बीजेपी ने 3 दशक बाद तोड़ा 'यादव कुनबा' का तिलिस्म, कोऑपरेटिव चुनाव में सूपड़ा साफ

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ग्रामीण विकास बैंक के सभापति रहे हैं, जिसकी वजह से यह चुनाव बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा था. हालांकि, बीजेपी ने इस बार यादव कुनबा को धराशाई कर दिया है.

Updated on: 03 Sep 2020, 01:13 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंकों के चुनाव में बीजेपी की जीत ने समाजवादी पार्टी के तीन दशक से चले आ रहे सियासी वर्चस्व को खत्म दिया है. विकास बैंकों के चुनाव में बीजेपी ने 323 शाखाओं में 293 पर जीत दर्ज की है. विपक्ष को ग्रामीण बैंक की सिर्फ 19 सीटें मिली हैं, जबकि 11 सीटों पर चुनाव नहीं हो सके हैं. इस ऐतिहासिक जीत को लेकर बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि विपक्षी उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने की ही हिम्मत नहीं की. वहीं, विपक्ष ने कहा, राज्य की मशीनरी ने चुनावों को हाइजैक कर लिया था. दरअसल, समाजवादी पार्टी ने कुछ सीटें जीतीं हैं, लेकिन तीन दशक का वर्चस्व खत्म होने पर 'यादव कुनबा' में खलबली तो मचेगी ही.

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बीजेपी ने 2022 का दिया संकेत
1991 से अब तक सहकारिता के क्षेत्र में समाजवादी पार्टी या काहे खासकर 'यादव कुनबा' का एकछत्र अधिकार रहा है. यहां तक कि मायावती के दौर में भी सहकारी ग्रामीण विकास बैंक पूरी तरीके से यादव परिवार के कंट्रोल में ही रहा था. बीजेपी ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंकों के चुनाव में जीत दर्ज कर ना सिर्फ सपा के तिलिस्म को तोड़ा बल्कि प्रचंड जीत के साथ 2022 में होने वाले विधावसभा चुनाव के तैयारियों के भी संकेत दे दिए है.

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बीजेपी के चक्रव्यूह को नहीं भेद पाए शिवपाल सिंह यादव
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ग्रामीण विकास बैंक के सभापति रहे हैं, जिसकी वजह से यह चुनाव बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा था. हालांकि, बीजेपी ने इस बार यादव कुनबा को धराशाई कर दिया है. वहीं, शिवपाल यादव और उनकी पत्नी अपनी सीट बचाने में जरूर कामयाब रहीं, लेकिन पूर्वांचल से लेकर पश्चिम यूपी तक उनके सभी उम्मीद्वार मात खा गए.

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बता दें कि सूबे में सहकारी ग्रामीण विकास बैंक की 323 शाखाएं हैं. हर शाखा से एक-एक उम्मीद्वार चुना जाता है. यह निर्वाचित प्रतिनिधि प्रदेश में अब 14 डायरेक्टर का चुनाव करेंगे. जिसमें से एक सभापति और उपसभापति चुना जाएगा. जीते हुए शाखा उम्मीद्वार द्वारा बैंक की प्रबंध कमेटी के सदस्यों का निर्वाचन 22 और 23 सितंबर को किया जाएगा. इस चुनाव के बाद अब बैंक के मैनेजमेंट कमेटी पर बीजेपी का कब्जा हो जाएगा.

सहकारी ग्रामीण बैंक की स्थानीय प्रबंध समितियों व सामान्य सभा के चुनाव में पश्चिम की 59 में से 55, अवध के 65 में 63, काशी क्षेत्र के 38 में से 33 और गोरखपुर के 34 में 30 स्थानों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया है. ऐसे ही कानपुर क्षेत्र में 45 में से 34 और ब्रज में 82 में से 78 क्षेत्र में बीजेपी को जीत मिली है. मथुरा के गोवर्धन और नौझील में नामांकन ही नहीं हो सके. जबकि कुशीनगर की पडरौना, बांदा की बबेरू, फतेहपुर की बिंदकी खागा, सोनभद्र की राबर्टसगंज व कानपुर की घाटमपुर और चौबेपुर में चुनाव निरस्त हो गए.