यूपीसीएम योगी आदित्यनाथ ने 2019 में इलाहाबाद अर्द्ध कुम्भ मेले तैयारी के दिये निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार ने दो साल बाद इलाहाबाद में होने वाले अर्धकुंभ की तैयारी अभी से तेज कर दी है।
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश सरकार ने दो साल बाद इलाहाबाद में होने वाले अर्धकुंभ की तैयारी अभी से तेज कर दी है। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अर्धकुंभ मेले की तैयारी की समीक्षा भी की।
इलाहाबाद अर्ध कुंभ साल 2019 में होना है। इसकी राज्य सरकार ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है।
योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान उन्होंने केंद्र की नमामि गंगे परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए गंगा एवं उसकी सहायक नदियों को साफ करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, "अर्धकुंभ मेले के दौरान बहुत बड़ी संख्या में लोग संगम पर स्नान के लिए पहुंचेंगे, इसलिए गंगा को अभी से प्रदूषण रहित बनाना होगा, ताकि स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और पानी गंदा और काला न प्रतीत हो।"
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इस मेले के दौरान लगभग 12 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने कानपुर तथा कन्नौज जनपदों में चल रही चमड़ा उद्योग इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट करने के निर्देश भी दिए।
उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में प्रवेश के बाद गंगा नदी के किनारे बसे कई जनपदों के नालों, उद्योगों इत्यादि के उत्प्रवाह को इसमें गिराया जाता है, जिसके कारण गंगा का जल अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। ऐसे में गंगा में प्रदूषित जल न पहुंचे, ताकि इसका जल हर हाल में निर्मल बने।"
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मुख्यमंत्री ने कहा, "रुड़की के पास से गंगा नदी के जल को विभिन्न क्षेत्रों में जल की समस्या से निपटने के लिए अनेक नहरों की ओर डायवर्ट किया जाता है, जिससे नदी में जल की मात्रा कम हो जाती है। विभिन्न शहरों की पेयजल समस्या का समाधान भी जरूरी है। इन शहरों की जल समस्या से निपटने तथा जल की समुचित उपलब्धता के लिए ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत तालाबों इत्यादि की खुदाई करवाई जाए और वर्षा जल संचित किया जाए, ताकि गंगा में पानी की कमी न हो।"
योगी ने कहा कि गंगा की निर्मलता के लिए केंद्र सरकार द्वारा 'नमामि गंगे' परियोजना के तहत धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है।
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उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इसके लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय से संपर्क कर परियोजनाएं स्वीकृत कराएं, ताकि 'नमामि गंगे' परियोजना के तहत गंगा की सहायक नदियों को शामिल करते हुए उन्हें भी प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके।
उन्होंने नदियों की डी-सिल्टिंग के निर्देश देते हुए कहा कि इससे नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगी और पानी की कोई कमी नहीं रहेगी।
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