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नर्सिंग पासबुक और स्मार्ट कार्ड अब यूपी के लचर सिस्टम को दुरुस्त करेंगे 

यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के दाग को हटाने का पूरा प्रयास चल रहा है. इंडियन कॉन्सिल ऑफ नर्स के नर्सिंग पासबुक और स्मार्ट कार्ड अब यूपी के लचर सिस्टम को स्मार्ट बनाएगा.

Updated on: 28 Jun 2022, 06:28 PM

नई दिल्ली:

यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के दाग को हटाने का पूरा प्रयास चल रहा है. इंडियन कॉन्सिल ऑफ नर्स के नर्सिंग पासबुक और स्मार्ट कार्ड अब यूपी के लचर सिस्टम को स्मार्ट बनाएगा. यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी, जिसमें नर्सिंग कॉलेज की मान्यता और पास हुए नृसिंग कोर्स के छात्र और छात्राओं को रेजिस्ट्रेशन करना होता है. इस समय इसके अंदर डिप्लोमा इन लैब टेक्नीशियन के 47 कॉलेज हैं, एक्स रे के 44 कॉलेज्, डिप्लोमा इन रेडियोथिरेपी के 4 और डिप्लोमा इन फॉर्मेसी के 5 कॉलेज है. वन नेशन वन रेजिस्ट्रेशन की राह पकड़ अब यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने अब तक सवा लाख नर्सिंग का रेजिस्ट्रेशन कराया है. इसके बाद ही वो किसी अस्पताल ,मेडिकल कॉलेज या नर्सिंग होम में कार्य कर पाती है. अब ऐसे सभी रजिस्टर्ड और नए रेजिस्ट्रेशन को यह स्मार्ट कार्ड और पासबुक मिलने लगी है. अभी मात्र शुरुवात हुई है. 35 हजार रजिस्टर्ड को देने की तैयारी हो गई है. इसका लाभ ही दाग को मिटाएंगे.
 
आम तौर पर कई बार रजिस्टर्ड नर्स यूपी छोड़कर अन्य राज्य में चली जाती है और दोनों जगह कागज़ों के दम पर नौकरी या पढ़ाने का काम करती है. इस वन नेशन वन रेजिस्ट्रेशन जो इंडियन कॉउंसिल नर्सिंग ने शुरू किया है इस से नर्स कही भी रहेगी, उसको ट्रेस किया जा सकेगा. दोहरा लाभ या अनुचित लाभ नहीं मिल सकेगा. एक राज्य से अन्य राज्य में जाना आसान भी होगा और परेशानी भी नहीं होगी. नर्सिंग कॉलेज का वेरिफिकेशन भी तेजी से होगा. इस कार्ड से एक ही नर्सिंग शिक्षक कई संस्थानों में पढ़ाने का फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेगा.

ये सब संभव और सुधार हो पा रहा है इस पासबुक और स्मार्ट कार्ड से जिसके छपे अंक आप की सही स्थित बता देंगे. वैसे तो यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी में अंदरूनी बताते है कि कई तरह के खेल चल रहे है, जिनका संसाधनों में कमी है. उनकी मान्यता देने, अल्पसंख्यक संस्थान को खुली छूट भर्ती करने का, नर्सिंग कॉलेज़ चलाने के नाम पर एक ही फैकल्टी कई संस्थानों को पढ़ा रही है. नए संस्थान को अनुचित लाभ देने के लिए इसी वर्ष मेरिट लिस्ट देर से निकली गई नाम ना लिखे जाने पर खुद अधिकारी कहते है यहां बेहद गंभीर नियमों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. नर्सिंग के लिए 120 बेड के अस्पताल के 2012 के आदेश मे भी दोहरा मापदंड अपनाया गया है. कायदे से जांच हो तो आंच में बड़े अधिकारी आएंगे. हाल ही में शासन ने कई कदम संयुक्त एग्जाम , सेन्टर में बदलाव जैसे उठाये जिस से यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के काम मे मूलभूत बदलाव लाया जा सके जो एक बड़ी चुनौती है?