logo-image

यौन उत्पीड़न करने पर यूपी पंचायत ने लगाया 4 थप्पड़ और 1 लाख का जुर्माना

उत्‍तर प्रदेश के बिजनौर में बाल यौन उत्पीड़न केस में पंचायत का अजीब निर्णय

Updated on: 19 Feb 2021, 03:30 PM

लखनऊ:

उत्‍तर प्रदेश के बिजनौर जिले की एक ग्राम पंचायत ने सोलह साल के लड़के को अपने आठ  साल के चचेरे भाई के साथ गलत हरकत करने पर चार  थप्पड़ और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इस मामले में समझौता हो गया है और पीड़ित के परिजन ने पुलिस में मामला दर्ज नहीं कराया है. घटना के बाद पीड़ित को रविवार की शाम एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ग्रामीणों के अनुसार, लड़के ने पीड़ित को लालच देकर खेत में बुलाया और फिर वहां उसका यौन उत्पीड़न किया. जब लोगों ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी तो जाकर उसे बचाया और गांव लेकर आए. इसके बाद उसे नूरपुर कस्बे के निजी अस्पताल ले जाया गया.

इसके बाद बुधवार को गांव में पंचायत बुलाई गई और आरोपी को तुरंत सजा सुनाते हुए उसे 4 थप्पड़ लगाए जाने और पीड़ित की फैमिली को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया.

नहतौर के एसएचओ जय कुमार ने बताया, "यह एक ही परिवार का मामला है. हम गांव गए थे और पीड़ित के परिवार से मिले लेकिन उन्होंने शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया. हमें पंचायत के निर्णय के बारे में जानकारी नहीं है और ऐसा करना कानूनी नहीं है." वहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने मामले में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.

एक स्‍वंसेवी संस्‍था की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2016 के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि कुल 1,01,326 पीओसीएसओ मामलों में से केवल 229 मामले अदालत ने इस साल तय किए गये थे. आंकड़ों के मुताबिक 70,435 पॉस्को के मामले पिछले साल से इस साल आगे बढ़ाये गए थे. 2016 में 30,891 नए मामले दर्ज कराये गए. पिछले मामलों को मिलाकर कुल 1,01,326 मामले लंबित हैं.


बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र में है जहां 17,300 मामले अभी भी लंबित हैं, यूपी में 15,900 और मध्य प्रदेश में 10,950 मामले हैं. केरल, ओडिशा, कर्नाटक, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और गुजरात में 3,500 और 5,000 के बीच के मामलों की लंबितता है. एक साल पहले, यह बताया गया था कि देश भर में पोकसो से संबंधित मामलों की कुल लंबितता 27,558 थी. एक साल बाद, यह संख्या 90,205 तक पहुंच गई है. लंबितता के आंकड़ो की छलाँग चिंता का विषय है.