UP News: योगी सरकार की बड़ी पहल, प्रयागराज में कुत्ते ने दो बार काटा तो होगी 'उम्रकैद', जानें पूरा मामला

सरकार के नए आदेश के अनुसार, यदि कोई आवारा कुत्ता किसी व्यक्ति को पहली बार काटता है, तो उसे 10 दिन के लिए एबीसी (Animal Birth Control) सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा.

सरकार के नए आदेश के अनुसार, यदि कोई आवारा कुत्ता किसी व्यक्ति को पहली बार काटता है, तो उसे 10 दिन के लिए एबीसी (Animal Birth Control) सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा.

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Dheeraj Sharma
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Yogi Govt on stray dog

UP News:उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ रहा है. हाल में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर अहम फैसला सुनाया था. इसके तहत आवारा कुत्तों को चिप लगाने और आक्रामक कुत्तों को शेल्टर होम में रखने की बात कही गई थी. वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब आवारा कुत्तों को लेकर बड़ी पहल की है. इसके तहत अब अगर आवारा कुत्ता किसी को एक बार काटता है तो उन्हें एक चिप लगाई जाएगी. इसके बाद भी डॉग दोबारा अटैक करता है या काटता है तो उसे हमेशा के लिए कैद में रखा जाएगा. 

बता दें कि गली-मोहल्लों, स्कूलों और बाजारों में घूमते ये कुत्ते कई बार मासूम बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देते हैं. आए दिन कुत्ते के काटने के मामले सामने आते हैं, जिससे लोग डरे रहते हैं. इस समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए योगी सरकार ने एक अनोखा और सख्त आदेश जारी किया है. 

पहली बार काटा, तो 10 दिन की सजा

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सरकार के नए आदेश के अनुसार, यदि कोई आवारा कुत्ता किसी व्यक्ति को पहली बार काटता है, तो उसे 10 दिन के लिए एबीसी (Animal Birth Control) सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा. इस दौरान उसका इलाज, निगरानी और रेबीज रोधी टीकाकरण किया जाएगा. साथ ही, कुत्ते के शरीर में माइक्रोचिप भी लगाई जाएगी ताकि भविष्य में उसके व्यवहार पर नजर रखी जा सके.

दोबारा हमला? तो उम्रकैद!

अगर वही कुत्ता दूसरी बार भी किसी को काटता है, तो अब मामला गंभीर हो जाएगा. तीन सदस्यीय जांच टीम, जिसमें पशुधन अधिकारी, स्थानीय निकाय का प्रतिनिधि, और एसपीसीए (SPCA) का सदस्य शामिल होगा यह तय करेगी कि हमला स्वभाविक था या किसी ने कुत्ते को उकसाया था. 

यदि कुत्ता खुद ही आक्रामक पाया जाता है, तो उसे आजन्म एबीसी सेंटर में कैद रखा जाएगा. यानी उसे "उम्रकैद" की सजा दी जाएगी. 

कड़ी शर्तों के साथ छोड़ा जाएगा

ऐसे कुत्तों को तभी छोड़ा जाएगा जब कोई व्यक्ति उन्हें अधिकृत रूप से गोद लेगा और उनकी पूरी जिम्मेदारी लेगा. इसके बिना उनकी रिहाई संभव नहीं होगी. इस व्यवस्था से दो फायदे होंगे.

1. आवारा कुत्तों की हिंसक प्रवृत्ति पर नियंत्रण,

2.  जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना. 

मॉनिटरिंग और मेडिकल निगरानी

सरकारी आदेश में यह भी कहा गया है कि कुत्तों की वीडियो रिकॉर्डिंग, मेडिकल परीक्षण, और व्यवहार विश्लेषण नियमित रूप से किया जाएगा. पीड़ित को सरकारी अस्पताल से इलाज का प्रमाण देना अनिवार्य होगा, जिसके आधार पर ही कार्रवाई शुरू होगी. 

बता दें कि यह फैसला भले ही अजीब लगे, लेकिन यह कदम जन सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन कायम करने की दिशा में एक साहसी प्रयास है. योगी सरकार की यह नीति अब दूसरे राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है.

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