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यूपी लव जिहाद कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, याचिकाकर्ता ने कहा ‘मौलिक अधिकारों के खिलाफ’

उत्तर प्रदेश में ताजातरीन लव जिहाद के खिलाफ बने कानून को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौतीदी गई है. तीन वकीलों ने इस मामले में उच्चतम अदालत में याचिका दाखिल की है.

Updated on: 04 Dec 2020, 12:18 AM

लखनऊ :

उत्तर प्रदेश में ताजातरीन लव जिहाद के खिलाफ बने कानून को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौतीदी गई है. तीन वकीलों ने इस मामले में उच्चतम अदालत में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश यह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस क़ानून को निरस्त किया जाना चाहिए क्योंकि ये संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

याचिकाकर्ता ने अपने याचिका में कहा है कि इस अध्यादेश का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जाएगा और अराजकता पैदा करेगा. याचिकाकर्ता का तर्क है कि कानून मनमाना है और बोलने और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से अध्यादेशों को अवैध और असंवैधानिक करार देने की मांग की है.

याचिकाकर्ता का कहना था कि यह किसी व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपने जीवन साथी का चयन करे और सरकार नागरिकों के इन अधिकारों के खिलाफ काम नहीं कर सकती है. याचिका में कहा गया है कि ये क़ानून स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के खिलाफ है और ये उन लोगो में बेवजह भय पैदा करेगा जो ऐसे किसी जिहाद  का हिस्सा नहीं है , उन्हें फँसाया जा सकता है.

गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार ने 24 नवंबर को "गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक" को मंजूरी दी थी. सरकार का कहना है कि इस कानून का मक़सद महिलाओं को सुरक्षा देना है.