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PFI की गतिविधियों पर गृह मंत्रालय को मिली यूपी सरकार की रिपोर्ट, पाबंदी लगाने पर विचार

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएसआई) का नाम सामने आया था. अब इसके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.

Updated on: 03 Jan 2020, 05:38 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएसआई) का नाम सामने आया था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिंसा के आरोप में पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. इस मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने गृह मंत्रालय को पत्र लिख पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. अब इस मामले में गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) की गतिविधियों को लेकर एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है.

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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देश के काई राज्यों में हुई हिंसा के पीछे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होने का खुलासा हुआ है. सीएए के विरोध में उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शनों के संबंध में राज्य की खुफिया आकलन रपट में खुलासा हुआ था कि आक्रोश तो स्वस्फूर्त था, लेकिन हिंसा ज्यादातर संगठित थी. रिपोर्ट में प्रदेश के सांप्रदायिक रूप से संवदेनशील इलाकों में भीड़ भड़काने, आगजनी, गोलीबारी और बमबारी करने में सिमी के कथित नए रूप पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका का भी खुलासा हुआ.

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खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएफआई की गतिविधियों का नया गढ़ एएमयू बना है. पीएफआई ने 15 दिसंबर को एएमयू परिसर को रणक्षेत्र बनाया और यहां दिनभर छात्रों और पुलिस के बीच हिंसा होती रही थी. पुलिस ने आरोप लगाया कि हिंसा भड़काने में पीएफआई और अन्य स्थानीय मुस्लिम संगठनों ने मुख्य भूमिका निभाई.