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UP सरकार बोली- पंचायत चुनाव में सिर्फ 3 मौतें, शिक्षक संघ ने कहा- 1621 की जान गई

उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के दौरान केवल तीन सरकारी शिक्षकों ने कोविड के कारण दम तोड़ा.

Updated on: 19 May 2021, 12:02 PM

highlights

  • यूपी सरकार ने जारी किया आंकड़ा
  • 'पंचायत चुनाव में 3 शिक्षकों की मौत'
  • शिक्षक संघ ने आंकड़े को गलत बताया

लखनऊ:

पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान जिन शिक्षकों की मृत्यु हुई, उसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने आंकड़े जारी किए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के दौरान केवल तीन सरकारी शिक्षकों ने कोविड के कारण दम तोड़ा. बेसिक शिक्षा विभाग ने कहा कि इसकी संख्या राज्य भर के जिलाधिकारियों द्वारा अब तक प्रस्तुत की गई रिपोट्स पर आधारित है. बेसिक शिक्षा विभाग के अवर सचिव सत्य प्रकाश ने कहा कि विभाग ने तीन शिक्षकों के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और उनके परिजनों को अनुग्रह राशि प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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विभाग ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक सरकारी अधिकारी को उस समय से चुनाव ड्यूटी पर माना जाता है, जब कर्मचारी चुनाव संबंधी प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए अपना आवास छोड़ता है, जिसमें मतदान और मतगणना का समय शामिल होता है. जब वह घर पहुंचता है तो ड्यूटी समाप्त होती है. पंचायती राज के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा 'भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, यदि 10 अप्रैल को मतदान होना है, तो शिक्षकों की ड्यूटी 9 अप्रैल से शुरु होकर 11 अप्रैल तक होती है.'

उन्होंने समझाया, 'यदि इन तीन दिनों के दौरान कुछ भी अनहोनी होती है, तो इसे मतदान ड्यूटी पर मृत्यु माना जाएगा. लेकिन यदि शिक्षक ने 10 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी की, 20 अप्रैल को सकारात्मक परीक्षण किया और 24 अप्रैल को मृत्यु हो गई, तो इसे ड्यूटी के दौरान मृत्यु नहीं माना जाएगा.' हालांकि उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख दिनेश चंद्र शर्मा ने सरकार के दावे का खंडन करते हुए कहा कि सरकारी स्कूल के कर्मचारियों के प्रति बुनियादी शिक्षा विभाग का ऐसा उदासीन रवैया देखना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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गौरतलब है कि शिक्षक संघ ने डेढ़ हजार के करीब मौतें होने का दावा किया था. विभिन्न प्रमुख शिक्षक निकायों ने कहा था कि ड्यूटी के दौरान संक्रमण के कारण कम से कम 1,600 कर्मचारियों की मौत हो गई.  चुनाव ड्यूटी पर सरकारी शिक्षकों की मौत के मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मई को उठाया था और न्यायाधीशों ने राज्य सरकार को सुझाव दिया था कि शिक्षकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए. हालांकि बुनियादी शिक्षा विभाग ने कहा कि मुआवजे का भुगतान राज्य चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार किया जाएगा.