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100 साल पुराने नियम-कानूनों को खत्म करने की तैयारी में यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश में बरसों पुराने कई ऐसे नियम कानून लागू हैं, जिनकी आज राज्य में कोई उपयोगिता नहीं है. मगर अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ऐसे पुराने और अनुपयोगी कानूनों को खत्म करने की तैयारी में है.

Updated on: 27 Nov 2020, 08:57 AM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में बरसों पुराने कई ऐसे नियम कानून लागू हैं, जिनकी आज राज्य में कोई उपयोगिता नहीं है. मगर अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ऐसे पुराने और अनुपयोगी कानूनों को खत्म करने की तैयारी में है. सरकार ने इस काम की जिम्मेदारी औद्योगिक विकास विभाग को दी है, जो सभी विभागों के यह जानकारी जुटा रहा है कि किस कानून को रखा जाए या किसे  खत्म किया जाए. बताया जा रहा है कि अब तक एक दर्जन विभागों ने अपना जवाब भेज दिया है, जिसमें उन्हें कई कानूनों को खत्म करने के बारे में बताया है. तमाम विभागों की समीक्षा के बाद ऐसा माना जा रहा है कि करीब 50 से ज्यादा कानून खत्म किए जा सकते हैं.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, औद्योगिक विकास विभाग ने राज्य के अन्य विभागों से जानकारी मांगी थी कि कौन-कौन से नियम वर्तमान में लागू है या नहीं. क्या इन्हें खत्म किया जाए या किसी अन्य कानून अधिनियम में उनका विलय हो सकता है. जिसको लेकर कई विभाग अपना जवाब भेज चुके हैं. कहा जा रहा है कि यह पूरी कवायद केंद्र सरकार के निर्देश पर हो रही है. केंद्र की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि अनुपयोगी नियम-कानून की समीक्षा करके उन्हें समाप्त किया जाए. इस संबंध में नीति आयोग की ओर से भी गाइडलाइंस जारी की गई है.

इसके तहत उत्तर प्रदेश में अब अनपुयोगी, अप्रसांगिक एक्ट और नियमावली को लेकर संबंधित विभाग समीक्षा करके उन्हें खत्म करने की संस्तुति दे रहे हैं. जिन नियम को खत्म किए जाने की चर्चा हैं, उनमें यूपी रूल्स रेगुलेटिंग द ट्रांसपोर्ट टिंबर इन कुमाऊं सिविल डिवीजन नियम भी है. यह नियम यूपी में सन 1920 से बरकरार है. जिसे बने अब 100 साल हो चुके हैं. इसे वन विभाग के लिए बनाया गया था. 20 साल पहले कुमाऊं क्षेत्र समेत पूरा उत्तराखंड अलग राज्य बन चुका है, मगर यह नियम अभी भी यूपी में बरकरार है.

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82 साल पुराना एक और कानून है- 'यूपी रूल्स रेगुलेटिंग ट्रांजिट आफ टिंबर आन द रिवर गंगा एबब गढ़मुक्तेश्वर इन मेरठ डिस्ट्रिक एंड आन इटस ट्रिब्यूटेरिस इन इंडियन टेरिटेरी एबब ऋषिकेश,' जिसे 1938 में लाया गया था. इसे भी खत्म किए जाने की चर्चा है. इसके अलावा यूपी फारेस्ट टिंबर एंड ट्रांजिट ऑन यमुना, टन व पबर नदी रूल्स 1963, इंडियन फारेस्ट यूपी रूल 1964, यूपी कलेक्शन एंड डिस्पोजल ऑफ डि्रफ्ट एंड स्टैंडर्ड वुड एण्ड टिंबर रूल्स, यूपी कंट्रोल आफ सप्लाई डिस्ट्रब्यूशन एंड मूवमेंट आफ फ्रूट प्लांटस आर्डर-1975, यूपी प्रोडयूस कंट्रोल, यूपी प्रोविंसेस प्राइवेट फारेस्ट एक्ट को भी खत्म किया जा सकता है.

वहीं आवश्यक वस्तुओं से जुड़े चार कानूनों का एक ही में विलय हो सकता है. खाद्य एवं रसद विभाग में कई एक्ट व नियमावली तो एक जैसे ही हैं. यूपी इशेंसियल कॉमोडिटीज से जुड़े चार नियमों को एक किया जा सकता है. यूपी शिड्यूल्ड कॉमोडिटीज से जुड़े चार आदेशों को भी एक किया जा सकता है.