वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे से भी ज्यादा अगर किसी बात की चर्चा है तो वह है श्याम देव राय चौधरी उर्फ दादा के नाराजगी की। पीएम मोदी के रोड शो को दौरान थोड़े समय के लिए नजर आए दादा अपनी पार्टी खफा चल रहे है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी से सात बार से से विधायक रह चुके दादा को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। दादा इस बात से नाराज हो गए, जिसको शुरूआत में तो पार्टी ने गंभीरता से नहीं लिया।
दादा का टिकट काट कर नीलकंठ तिवारी को दे दिया गया। जिस पर विधायक श्याम देव ने कहा था,'मुझे बिना बताये पार्टी ने मेरे साथ छल किया हैं। मैं किसी भी कीमत पर वर्तमान प्रत्याशी का ना तो समर्थन करुंगा और ना ही पार्टी का प्रचार करूंगा। यही हाल रहा तो शहर दक्षिणी की जनता इस विधानसभा में मेरे सम्मान में कमल नहीं खिलने देगी।'
दादा की नाराजगी बीजेपी की जीती हुई सीट को हार में बदल सकती है। इसलिए ही हालातों को भांपते हुए बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने दादा को मनाने की कोशिश की थी। पर कोई फायदा नहीं हुआ। जिसके बाद खुद बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को उनको मनाने की कमान संभालनी पड़ी।
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मौर्या का कहना है कि दादा को एसएलसी बनाकर विधान परिषद भेजा जाएगा। हालांकि दादा इस बात के लिए माने है या नहीं, ये साफ नहीं हो पाया है। फिलहाल दादा किसी भी हालत में वर्तमान प्रत्याशी का समर्थन और प्रचार करने को तैयार नहीं है।
चौधरी से कैसे बने दादा
श्यामदेव राय चौधरी अपने इलाके में सात बार के विधायक तो हैं ही, साथ-साथ खासे लोकप्रिय भी हैं। लोगों का कहना है कि वो बहुत ही आसानी से उपलब्ध होते हैं। हरवक्त जनता की परेशानी दूर करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने में थोड़ा भी संकोच नहीं करते। ऐसा नामुमकिन है कि दादा को कोई अपने घर बुलाए और वो हाज़िर न हों। उनकी ये सरतला उन्हें अपने इलाके का ‘दादा’ बना देती है।
HIGHLIGHTS
- वाराणसी में श्यामदेव उर्फ दादा की नाराजगी बीजेपी के पड़ सकती है मंहगी
- बीजेपी ने सात बार से विधायक रह चुके श्याम दादा को नहीं दिया टिकट
- दादा वाराणसी में लोगों के बीच अच्छे खासे लोकप्रिय
Source : Aditi Singh