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Barabanki mosque demolition ( Photo Credit : फोटो-twitter)
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Barabanki mosque demolition ( Photo Credit : फोटो-twitter)
बाराबंकी में मस्जिद (Barabanki mosque demolition) गिराए जाने मामले में शासन स्तर पर जांच कमेटी गठित की गई है. ये कमेटी विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ, शिवाकांत द्विवेदी के नेतृत्व में बनाई गई है. सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के निर्देश पर गठित कमेटी 15 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करेगी. बता दें कि बाराबंकी के राम स्नेही घाट तहसील क्षेत्र में सोमवार को पुलिस की तैनाती के बीच दशकों पुरानी मस्जिद गिराए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया. तहसील बाराबंकी-अयोध्या सीमा पर एक राजमार्ग पर स्थित है.
बाराबंकी के जिला मजिस्ट्रेट आदर्श सिंह ने कहा कि अज्ञात लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से संरचना का निर्माण किया था, जो 15 मार्च को नोटिस भेजे जाने पर भाग गए थे. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने 18 मार्च को ढांचे को अपने कब्जे में ले लिया था और उसी दिन अनुमंडल दंडाधिकारी की अदालत के आदेश के बाद इसे ध्वस्त कर दिया गया था.
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मस्जिद तोड़े जाने के खिलाफ अदालत जाएगा सुन्नी बोर्ड
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह जल्द ही इस सप्ताह की शुरुआत में ढहाई गई एक मस्जिद की बहाली और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय न्यायिक जांच और कार्रवाई की मांग के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा.
मुस्लिम समूह कह रहे हैं कि एक मस्जिद को अवैध रूप से तोड़ा गया था. सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने कहा, "यह स्थानीय प्रशासन की मनमानी है." बाराबंकी निवासी और वकील इकबाल नसीम नोमानी दरियाबादी ने कहा कि वह पिछले तीन दशकों से मस्जिद में नमाज अदा कर रहे थे.
दरियाबादी ने कहा कि वह महामारी के दौरान जल्दबाजी में की गई कार्रवाई के पीछे के मकसद को समझने में असमर्थ हैं. जिले के एक अधिकारी ने कहा कि 'अवैध ढांचे' को पहली बार मार्च में एक सत्यापन अभियान के दौरान हरी झंडी दिखाई गई थी. उन्होंने कहा, "वहां रहने वाले तीन लोग अपना पहचान पत्र दिखाने के लिए कहने पर भाग गए."
एक वीडियो में, बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने एसडीएम (राम स्नेही घाट) के घर के सामने तहसील परिसर में ध्वस्त ढांचे को 'अवैध रूप से निर्मित आवासीय स्थान' कहा.
उन्होंने कहा, "15 मार्च, 2021 को स्वामित्व साबित करने के लिए वहां रहने वालों को नोटिस भेजे जाने पर वहां से भाग गए. प्रशासन ने 18 मार्च, 2021 को संरचना पर कब्जा कर लिया." सुन्नी बोर्ड ने एक बयान में दावा किया कि यह '100 साल पुरानी मस्जिद' थी.