पहली बार बाजार में आएंगी बांस की राखियां, 29 जुलाई को प्रदर्शनी में शामिल
वोकल फॉर लोकल के मंत्र को सिद्ध करने में गोरखपुर में वन विभाग की पहल पर बनवाई जा रही बांस की राखियां भी योगदान देंगी. ईको फ्रेंडली ये राखियां महिलाओं के आर्थिक मजबूती का भी आधार बन रही हैं.
highlights
- ईको फ्रेंडली ये राखियां महिलाओं के आर्थिक मजबूती का भी आधार बन रही हैं
- एक इनोवेशन के रूप में उत्तर प्रदेश में पहली बार बांस की राखियां बनवाई जा रही हैं
गोरखपुर:
वोकल फॉर लोकल (Vocal For Local) के मंत्र को सिद्ध करने में गोरखपुर (Gorakhpur) में वन विभाग (Forest department) की पहल पर बनवाई जा रही बांस की राखियां भी योगदान देंगी. ईको फ्रेंडली ये राखियां महिलाओं के आर्थिक मजबूती का भी आधार बन रही हैं. एक इनोवेशन के रूप में उत्तर प्रदेश में पहली बार बांस की राखियां बनवाई जा रही हैं. नेशनल बम्बू मिशन के तहत कैम्पियरगंज के लक्ष्मीपुर में स्थापित सामान्य सुविधा केंद्र से संबद्ध स्वयंसेवी समूह की महिलाओं द्वारा इस रक्षाबंधन पर्व के पहले एक लाख रुपये की कीमत की राखियों को बनाकर बिक्री हेतु उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है.
गोरखपुर में महिलाओं के इस इनोवेशन को लेकर उनसे और डीएफओ विकास कुमार यादव से बातचीत में पता चला की कि नेशनल बम्बू मिशन के तहत कैम्पियरगंज के लक्ष्मीपुर में एक सामान्य सुविधा केंद्र की स्थापना की गई है. यहां महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें बांस के खिलौनों, गिफ्ट आइटम्स, ज्वेलरी आदि बनाने में पारंगत किया गया है. अब सीएफसी से जुड़े स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा तैयार बांस के उत्पादों को बेहतर बाजार भी मिलने लगा है. महिलाओ के इस इनोवेशन को लेकर समूह की महिलाओं से बात हुई तो वह डीएफओ के प्लान पर अमल करने को तैयार हो गईं. उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराया गया और शुरू हो गया बांस की राखियों को बनाने का सिलसिला.
इन महिलाओं को बांस के सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण तो मिला है लेकिन प्रदेश में पहली बार बन रही बांस की राखियों की डिजाइन उनकी खुद की है. लक्ष्मीपुर सीएफसी पर राखी बनाने के काम में जुटी महिलाओं का कहना है कि मोबाइल पर राखियों की डिजाइन देखने के बाद उन्होंने कुछ बदलाव कर बांस से बनने वाली राखियों के लिए डिजाइन तैयार की. दर्जन भर से अधिक राखियों की डिजाइन तय की गई और उसके हिसाब से लगातार काम जारी है. महिलाओं के उत्साह को देखते हुए इस रक्षाबंधन के पहले तक कुल एक लाख रुपये की कीमत की राखियों को बिक्री हेतु उपलब्ध कराने की तैयारी है. बांस की राखियां चिड़ियाघर में नेशनल बम्बू मिशन के स्टाल पर प्रदर्शनी व बिक्री के लिए रखी जाएगी. इसके साथ ही 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस पर योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल सेमिनार में भी इसकी प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
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