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यूपी एटीएस को मिली बड़ी कामयाबी, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का डिकोडर किया गिरफ्तार

देश में 5 वर्षों के लिए प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ कुछ दिनों पहले जो एनआईए ने अभियान चलाया था, उसके बाद एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं . यूपी एटीएस के हाथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का वह डिकोडर लगा है

Updated on: 18 Oct 2022, 03:49 PM

New Delhi:

देश में 5 वर्षों के लिए प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ कुछ दिनों पहले जो एनआईए ने अभियान चलाया था, उसके बाद एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं . यूपी एटीएस के हाथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का वह डिकोडर लगा है, जो आईएसआईएस और बांग्लादेशी समर्थित आतंकी संगठनों के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के लिए भेजे गए निर्देशों को डिकोड करता था. राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर इलाके से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के स्टेट कमांडर को कुछ दिनों पहले एनआईए ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद यूपी एटीएस ने वसीम से गिरफ्तारी के वक्त जो दस्तावेज और लैपटॉप मिले थे. उस पर पड़ताल करना शुरू की यूपी एटीएस ने जब दस्तावेजों में लिखे मैसेज की जानकारी वसीम से मांगी तो वसीम ने उसे पढ़ने में असमर्थता जताई यूपी एटीएस के लिए बड़ा चैलेंज था कि जो मैसेज बांग्लादेशी संगठन और आईएसआईएस की तरफ से भेजा गया है.

आखिर उसमें क्या है लिहाजा यूपी एटीएस ने सख्ती की तब वसीम ने बताया इस मैसेज को डिकोड करने के लिए वह मऊ के नासिर कमाल का सहारा लेता था. जब भी आईएसआईएस या बांग्लादेशी समर्थित संगठनों की तरफ से कोई एजेंडा भेजा जाता था तो वह बकायदा मऊ से पीएफआई के सदस्य नासिर कमाल को लखनऊ बुलाता था. नासिर कमाल कई भाषाओं का जानकार था और वह इन मैसेजों को डिकोड करता था. इसके लिए बकायदा मस्जिद में एक मीटिंग होती थी. इस जानकारी की मिलने के बाद यूपी एटीएस ने अपनी निगाहें नासिर कमाल पर जमा दी और कल मऊ से नासिर कमाल को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया. अब यूपी एटीएस नासिर से इन सभी मैसेज को डिकोड कराना चाहती है ताकि उसे यह पता चल सके कि आखिर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया आईएसआईएस और बांग्लादेशी समर्थित आतंकी संगठनों के इशारे पर उत्तर प्रदेश में किस तरह की साजिश रचना चाहता है. यूपी पुलिस के पूर्व अधिकारी का यह दावा है कि अगर इन मैसेजों को पूरा पढ़ लिया गया तो यूपी एटीएस के हाथ में एक बड़ी कामयाबी होगी उसे यह समझ में आ जाएगा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की प्लानिंग क्या थी और इससे पहले उसने कौन-कौन सी घटनाओं को अंजाम दिया है.

पूर्व डीजीपी एके जैन ने बताया कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया आतंकी संगठनों से मिले इशारों को डिकोड करने के लिए जब नासिर कमाल को बुलाता था तो मीटिंग बाकायदा एक मस्जिद में की जाती थी ताकि सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक भी ना लगे और जिसके बाद आतंकी संगठनों से मिले निर्देश के पालन में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया लग जाता था.  पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अपने गजवा ए हिंद के नारे को बुलंद करने के लिए और देश में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने मस्जिदों का सहारा लेता था जबकि इस्लाम इस बात की इजाजत बिल्कुल नहीं देता कि अपने देश अपने समाज के खिलाफ कोई गतिविधि किसी मस्जिद में चलाई जाए इस्लाम तो यह कहता है कि हर जगह दुनिया में अमन चैन और भाईचारे की बात होनी चाहिए.

शिया धर्म गुरू यासूब अब्बास ने बताया कि एटीएस से मिली जानकारी के अनुसार नासिर कमाल कई भाषाओं का जानकार था और भाषाओं पर उसकी पकड़ काफी मजबूत थी शुरुआती दौर में पीएफआई की मीटिंग ओं में लखनऊ वाया करता था. वहां पर तकरीरे भी करता था जिसके बाद पीएफआई के एरिया कमांडर वसीम की निगाह नासिर कमाल पर पड़ी वसीम को लगा नासिर कमाल ही वहीं आदमी है जो आईएसआईएस और बांग्लादेशी समर्थित संगठनों से मिलने वाले मैसेज को आसानी से डिकोड कर सकता है. इसीलिए उस नासिर कमाल को यह जिम्मेदारी दी जिसके बाद नासिर कमाल जब भी आतंकी संगठनों से कोई मैसेज आता था मऊ से लखनऊ आ जाता था हाला की नासिर के गतिविधियों की जानकारी पुलिस को उस की गिरफ्तारी के बाद लगी.