उत्तर प्रदेश से एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले जाने के बाद भी लोगों के नाम खतौनी में दर्ज है. तीन भूखंड की खतौनी में 77 साल से मालिकों का निवास पाकिस्तान लिखा है. नियमों की मानें तो यह जमीन शत्रु संपत्ति घोषित होनी चाहिए थी. लेकिन जिम्मेदार लोग मामले में चुप हैं. घटना अलीगढ़ का है.
यह है पूरा मामला
अनोखा मामला कोल तहसील की मिर्जापुर सिया ग्राम पंचायत से सामने आया है. पिछले दिनों स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत की थी. इसके बाद कोल तहसील प्रशासन ने जांच शुरू की. जांच में सामने आया कि पाकिस्तानी निवासियों के नाम पर दर्ज जमीन की कीमत बीस लाख रुपये हैं. जिला प्रशासन ने चार दिन पहले तीनों जमीनों को शत्रु संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है. जैसे ही सरकार आदेश देगी, वैसे ही खतौनियों को पाकिस्तानी मालिकों के नाम हटा दिए जाएंगे.
जानें, क्या है पाकिस्तानी मालिकों के नाम
मिर्जापुर सिया के रहने वाले लोगों ने जिला प्रशासन से शिकायत की थी उनके गांव के कुछ भूखंड लावारिस हैं. जिला प्रशासन ने तहसील प्रशासन को जांच के आदेश दिए. राजस्व अभिलेखों को खंगाला गया तो साफ हुआ कि गाटा नंबर 431 में 1.09 हेक्टेयर भूमि दर्ज है. मालिकों के नाम- अब्दुल रहमान, अब्दुल मजीद, अमर मोहम्मद और कुर्बान अली हैं.
मामले में क्या बोले अधिकारी
बता दें, चारों लोग बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे. तहसील प्रशासन ने रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी है. मामले में एडीएम पंकज कुमार ने बताया कि कोल तहसील से जांच रिपोर्ट मिली है. तीन गाटाओं में पाकिस्तानियों के नाम हैं. खतौनी से उनके नामों को हटाकर शत्रु संपत्ति घोषित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है.