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उन्नाव रेप केस: तीस हजारी कोर्ट में हुई बहस, सीबीआई ने कहा...

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर हुए उन्नाव रेप कांड की सुनवाई बुधवार को हुई. इस दौरान सीबीआई ने बताया कि रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, शशि सिंह व अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबुत है.

Updated on: 07 Aug 2019, 03:59 PM

लखनऊ:

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर हुए उन्नाव रेप कांड की सुनवाई बुधवार को हुई. इस दौरान सीबीआई ने बताया कि रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, शशि सिंह व अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबुत है.

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सुनवाई शुरु होते ही पीड़िता पक्ष के वकील ने पिछले घटना क्रम को फिर से एक बार कोर्ट के सामने रखा. वकील ने कहा कि कुलदीप सिंह सेंगर और आरोपी शशि सिंह साजिश कर रही थीं. कुलदीप सेंगर विधायक हैं. उसी ने पीड़िता का रेप किया . उन्नाव में रेप की वारदात को अंजाम दिया.

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एक सप्ताह पहले पीड़िता के साथ एक भीषण सड़क हादसा हुआ. जिसकी जांच सीबीआई कर रही है. पीड़िता के वकील ने आगे बताया कि पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. 3 अप्रैल 2018 को पीड़िता के उन्नाव में कोर्ट में पेशी करने पहुंचे थे.

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उसी शाम को पीड़िता के पिता को बाजार में मारा-पीटा गया. बाद में उन्हें एक झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेज दिया गया. जहां पीड़िता के पिता की मौत हो गई. जब मामला मीडिया में आया तो इस मामले में सीबीआई को जांच के निर्देश दिए गए. सीबीआई ने इस मामले में फ्रेश FIR दर्ज की. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में शशि सिंह और कुलदीप सेंगर दोनों को आरोपी बनाया.

376 के मामले में आई-विटनेस की जरूरत नहीं

पीड़िता की तरफ से सीबीआई ने कहा है कि आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर पर्याप्त सबूत हैं. 164 का बयान पीड़िता की मां का है. वहीं 161 का बयान पीड़िता का है. सीबीआई ने कहा कि 376 के मामले में हमें कोई आई-विटनेस नहीं चाहिए. वहीं रेप के आरोपी के वकील तनवीर अहमद ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

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सीबीआई के पास किसी भी तरह का कोई मेडिकल और अन्य रिपोर्ट नहीं है जो उनके खिलाफ हो. इतना ही नहीं सही समय पर पुलिस में शिकायत भी नहीं की गई. आरोपी के वकील ने आगे कहा कि गांव के जन्म रजिस्टर और स्कूल सर्टिफिकेट में डेट ऑफ बर्थ अलग-अलग है. उन्होंने आगे बताया कि जब डॉक्टरों ने पीड़िता का मेडिकल किया तो उन्होंने 19 साल से ज्यादा का बताया.