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राम मंदिर के निर्माण में जमीन के अंदर की बालू बनी मुसीबत, टेस्टिंग के दौरान कुछ पिलर खिसके

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण जुटे इंजीनियरों को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जमीन के नीचे बालू की परत ने इंजीनियरों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है.

Updated on: 15 Dec 2020, 04:02 PM

लखनऊ/अयोध्या:

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण जुटे इंजीनियरों को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जमीन के नीचे बालू की परत ने इंजीनियरों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है. क्योंकि जिस जगह मंदिर के पिलरों के लिए खुदाई की गई है, वहां 200 फीट नीचे भुरभुरी बालू मिली है. इसकी जांच करने की पता चला है कि पत्थरों से बनने वाले राममंदिर के भार को उठाने के लिए जिस तरह की मिट्टी चाहिए थी, वो वहां नहीं मिल रही. जो मिट्टी मिली है, उन पर पिलरों का टिक पाना काफी मुश्किल है.

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पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से पाइलिंग की खुदाई कर मिट्टी की जांच की जा रही है. मंदिर निर्माण में लगी कंपनी लॉर्सन एंड टूब्रो को मनमाफिक मिट्टी की परत नहीं मिली है, जहां से पिलरों को बनाया जा सकता है. हालांकि यहां आईआईटी चेन्नई के विशेषज्ञों ने टेस्टिंग के लिए 12 पिलरों का निर्माण भी किया था, लेकिन टेस्टिंग के दौरान कुछ पिलर धंस गए थे. टेस्टिंग के वक्त पिलरों पर भार डाला गया तो उनमें से कुछ जमीन के निचले हिस्से में खिसक गए.

बता दें कि राम मंदिर के निर्माण के लिए कुल 1200 स्तभों का निर्माण होना है. मंदिर का निर्माण ईंट नहीं, बल्कि पत्थर की तराशी गई शिलाओं से होना है. ऐसे में निश्चित रूप से शिलाओं का वजन बहुत ज्यादा होगा. ट्रस्ट चाहता है कि राम मंदिर की अवधि 1000 साल से कम ना हो. इसीलिए यह भी तय किया गया कि राम मंदिर की बुनियाद के पिलर में लोहे की सरिया का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

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हालांकि नीचे मिली भुरभुरी मिट्टी ने दिक्कतें पैदा कर दी है. इसे देखते हुए राम मंदिर की बुनियाद की मजबूती को लेकर विशेषज्ञों ने रिसर्च शुरू की है. जिसकी रिपोर्ट जल्द आने वाली है. तकनीकी विशेषज्ञों का यह मानना है कि यहां नजदीक से कभी सरयू नदी गुजरती रही होगी. इसके अलावा नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में एक सब-कमेटी बनाई गई है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ मंदिर की नींव फाउंडेशन को लेकर अपनी अनुशंसा देंगे.

इससे पहले विशेषज्ञों और ट्रस्ट के सदस्यों के बीच विचार-विमर्श भी किया गया, जिसमें यह तय हुआ कि तकनीकी सब-कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद नए सिरे से मंदिर निर्माण के फाउंडेशन की शुरुआत की जाएगी. कहा जा रहा है कि इस रिपोर्ट पर मंथन के बाद ही अब राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होगा.